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छवि कों निखारती है ज्ञान का सौन्दर्य -आचार्य श्री महाश्रमण महाराज

संजय सिंह ठाकुर /  पालघर: अणुव्रत यात्रा के तहत अपनी धवल सेना के साथ गुजरात राज्य से पदयात्रा करते हुए पालघर जिले में पधारें हुए आचार्य श्री महाश्रमण महाराज जी का जिले में आज 7 वां दिन है । इसके पहले डहाणु , वानगांव और दो दिन बोईसर में अलग अलग प्रवचन करने बाद, शुक्रवार कों वह पालघर में पहुंचे। जैन समाज के साथ अन्य लोगों की तरफ़ से बड़े पैमाने पर उनका भव्य स्वागत किया गया .

वही शुक्रवार कों पालघर में तेरह पंथ भवन के बगल में स्तिथ प्रांगण में बने पंडाल में  प्रवचन देते हुए आचार्य श्री महाश्रमण महाराज जी नें कहा की दुनियां के हर क्षेत्र में ज्ञान का बड़ा महत्व है। फिर चाहे अध्यात्म का क्षेत्र हो, व्यवहार का क्षेत्र हो व अन्य कोई क्षेत्र हो ,  ज्ञान समाज के भीतर, स्वाध्याय आदि से भी हो सकता है । ज्ञान के साथ पुष्ट और अच्छा आचार होना चाहिए | अच्छे कपड़े, अच्छा चेहरा व अच्छे आभूषणों का भी अपना कुछ महत्व हो सकता है, लेकिन मुख्य बात है ज्ञान का सौन्दर्य, आचार का सौन्दर्य व व्यवहार का सौन्दर्य इनका अपना बड़ा महत्व है |इन विशेषताओं के अभाव में अच्छे कपड़े, अच्छा चेहरा व आभूषण हमारी गुणवत्ता को नहीं बढ़ा सकते | साथ ही महाराज ने कहा की गाय देखने में बहुत सुन्दर हो, पर दूध नहीं देती हो , तो वह किस काम की है |

वैसे ही  डाक्टर बहुत अच्छे कपड़े पहनकर भी यदि रोग का ईलाज नहीं कर सके तो वे अच्छे कपड़े भी किस काम के | सोने के घड़े में भी यदि गर्मीं में पानी ठंडा न मिले तो उससे अच्छा मिटटी का घड़ा होता है, जो ठंडा पानी देता है | हमें रूपवत्ता से ज्यादा महत्व गुणवत्ता को देना चाहिए | हमारा सबके साथ मैत्री भाव रहे, सदभावना रहे व इमानदारी व व्यसन मुक्त जीवन जीने की दिशा में बढ़ते रहना चाहिए |

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