Sunday, October 13, 2024
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पालघर में उद्धव ठाकरे की शिवसेना को लगा बड़ा झटका

केशव भूमि नेटवर्क/  पालघर :-  पालघार : पालघार नगर परिषद में गुरुवार को दो मनोनित नगरसेवक पद के  चयन लिए हुए चुनाव में उद्धव ठाकरे की शिवसेना को बड़ा झटका लगा है। उद्धव ठाकरे गुट मनोनित नगरसेवक के पदों पर चयन करने में असफल रहा। जबकि एकनाथ शिंदे की शिवसेना का गुट एक पद पर एडोकेट धर्मेंद्र भट्ट कों नियुक्त करने में सफल रहा | एकनाथ शिंदे गुट के रईश खान और उद्धव ठाकरे गुट के सुनील महेन्द्रकर और मनोज घरत का खामियों के कारण निरस्त हुए नामांकन के कारण एक पद खाली रह गया | दोनों पदों पर उद्धव ठाकरे गुट ने दावा किया था | इन दो पद के लिए चार लोगों ने नामांकन भरा था |

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करीब दो महीन से इस पद पर चयन के लिए एकनाथ शिंदे और उद्भव ठाकरे गुट में काफी राजनितिक खीचतान शुरू थी| इस पद पर एक तरफ जहां उद्धव ठाकरे गुट अपने पक्ष के दो लोगो की नियुक्ति करना चाहता था, वही दूसरी तरफ एकनाथ शिंदे गुट के नेता अपने पक्ष के लोगों की नियुक्ति करना चाहते थे | इसे लेकर करीब दो महीन से चल रही राजनीतिक खीचतान के कारण पहले यह मामला मुंबई हाईकोर्ट पहुंचा, फिर कोर्ट के आदेश के बाद 13 जुलाई कों चयन के तारीख की दुबारा घोषणा हुई |

इस पद के लिए उद्धव गुट की तरफ से सुनील महेन्द्रकर और मनोज घरत ने नामांकन दाखल किया था,वही दूसरी तरफ एकनाथ शिंदे गुट की तरफ से रईश खान और एडोकेट धर्मेंद्र भट्ट ने नामंकन दाखल किया था | बुधवार कों दोनों गुटों की दलीले सुनने के बाद और दोनों गुटों के उम्मीदवारों के नामांकन फार्म की की गई जांच के बाद शिंदे गुट के रईश खान और उद्धव ठाकरे गुट के सुनील महेन्द्रकर और मनोज घरत के नामाकन में खामियों के कारण उनकी उम्मीदवारी कों निरस्त कर दिया गया | इसके पीछे रईश खान पर पालघर नगरपरिषद का करीब दो लाख से ज्यदा रूपये बकाया का कारण बताया गया है, जिसे उन्हों ने नही भरा है | जबकि उद्धव ठाकरे गुट के दोनों उम्मीदवारों का यह कहते हुए नामांकन निरस्त किया गया की यह दोनों संस्था के सदस्य है, जबकि इस पद के लिए किसी संस्था का पदाधिकारी होना अनिवार्य है |

दुबारा जाएंगे कोर्ट 

वही इसे लेकर उद्धव ठाकरे की शिवसेना गट नेता कैलास म्हात्रे ने इस चयन कों गैर कानूनी बताया है | उन्हों ने कहा की यह निर्णय सरकार के दबाव में लिया गया है | हमारे दोनों उम्मीदवार कानूनन सही थे | इस पद के लिए नियमतः संस्था के सदस्यो को चुना जाता है । हम इस इस मामले को लेकर हम दुबारा कोर्ट जाएंगे ।

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