Friday, October 11, 2024
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Palghar-वाणी सयंम जीवन कों उज्ज्वल और सुखद बनाता है- आचार्य श्री महाश्रमण महाराज

केशव भूमि नेटवर्क  /  संजय सिंह , पालघर : अणुव्रत  यात्रा के तहत अपनी धवल सेना के सथ गुजरात राज्य से पदयात्रा करते हुए परम पूज्य आचार्य श्री महाश्रमण महाराज जी ( Acharya Shri Mahashraman Maharaj ) बुधवार कों महाराष्ट्र राज्य के पालघर जिले के बोईसर में पहुंचे । यहां बड़ी संख्या में उपस्थित जैन समाज के लोगों ने बड़े भक्ति और उत्साह के साथ आचार्य श्री महाश्रमण महाराज जी का स्वागत किया । बोईसर में दो दिवसीय चलने वाले प्रवचन के कार्यक्रम में पहले दिन यानी बुधवार कों आचार्य श्री महाश्रमण महाराज जी नें बोईसर के ओस्तवाल स्कूल में प्रवचन दिया और आज बोईसर पूर्व में स्तिथ कोमबल गांव में बन रहे स्कूल में  प्रवचन देंगे । आचार्य श्री महाश्रमण महाराज जी कों महाराष्ट्र सरकार ने राज्य अतिथि का दर्जा दिया है ।

वही बुधवार कों बोईसर में आचार्य श्री महाश्रमण महाराज नें अपने उपदेश में कहा की वाणी के संयम का हमारे जीवन में बड़ा महत्व है ।  हमारे जीवन में वाणी का संयम रहे, बिना किसी के पूछे न बोलें | चिंतन करें कि आज दिन भर में मैंने कितना आवश्यक बोला व कितना अनावश्यक | मौन का भी महत्व होता है, पर अनावश्यक न बोलना भी विशेष उपलब्धि है | वाणी के चार गुण बताये गये है – १ मितभाषिता अर्थात जितना जरूरी हो उतना ही बोलना | न निराधार बोलना, न भाषण देना व न ही लिखना | जबान पर लगाम रक्खो | नुपुर बोलती रहती है इसलिए उसका स्थान पैरो का व हार चुप रहता है इसलिए उसका साथ गले का होता है २. मधुरभाषिता – कटु वचन कांटे के समान चुभ जाता है व मीठा-वचन वशी- करण मंत्र के समान वश में कर लेता है ३. यथार्थ-भाषिता सही बोलना व झूठ न बोलना व न झूठा आरोप किसी पर लगाना व रित भाषी रहना ४. सोच-समझकर बोलना | पहले तोलो, फिर बोलो | सुविचारित भाषा का बड़ा महत्व होता है | बोली हुई बात वापिस नहीं ली जा सकती | अतः बोलने से पहले ही चिंतन करके बोलो | भाषा का सदा सदुपयोग हो व जो भी बोलें व लिखे दूसरे का कल्याण करने वाला हो व किसी की समस्या का समाधान करने वाला भी | हमारा जीवन व्यवहार भी हमारी भाषा के अनुकूल हो |

पालघर में ज़ोरों से चल रही है तैयारी

मिडिया प्रभारी दिनेश राठोड नें कहा की पालघर में दो जून कों तेरहपंथी हॉल और बगल के प्रांगण में महाराज जी के होने वाले प्रवचन और उनके स्वागत की तैयारीयां ज़ोरों से चल रही है । जिसके बाद 3 जून को केलवे बीच, 4 जून को सफाले, 5 जून को देईसर गाव, 6 जून को भारील, 7 जून को महावीर धाम, 8 जून को विरार, 9 जून को नालासोपारा और 10 जून को वसई में अपनी अणुव्रत यात्रा के तहत प्रवचन कार्यक्रम करते हुए आगे का मार्ग क्रमण जारी रखेंगे । जून महीने के २८ तारीख से चातुर्मास पर्व शुरू हो रहा है । जिसके चलते परम पूज्य आचार्य श्री महाश्रमण घोड़बंदर में नंदनवन मे चार माह तक ठहरेंगे । चार महीने का यह पर्व जैन धर्म में विशेष महत्व रखता है ।

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