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मप्रः आचार्य विद्यासागर की आत्‍मीय लगाव से नेमावर में हुआ एशिया के सबसे बड़े जिनालय का निर्माण

अपराजेय साधक - आचार्य श्री विद्यासागर - जीवन परिचय - मेरे गुरुवर... आचार्य  श्री विद्यासागर जी महाराज

भोपाल । महासमाधि में लीन हुए आचार्यश्री विद्यासागर महाराज का देवास जिले के नेमावर से आत्मीय लगाव रहा है। आचार्यश्री पहली बार 1996 में नेमावर आए थे। तब चार से पांच दिन का उनका यहां प्रवास हुआ था।

उसी समय नर्मदा के तटों से उनका लगाव हुआ और इस क्षेत्र को तीर्थ बनाने का संकल्प लिया। इसके बाद 1997 में चातुर्मास के लिए आए। यहां उन्होंने पंच बाल यति और त्रिकाल चौबीसी जिनालय की परिकल्पना की थी। इसके बाद निर्माण शुरू भी हो गया। पत्थरों से निर्मित हो रहा यह एशिया का सबसे बड़ा मंदिर है, जिसकी नींव आचार्यश्री ने ही रखी थी। वर्ष 2000 में इसका निर्माण शुरू हुआ था। संभावना है कि दो से तीन वर्षों में कार्य पूर्ण हो जाएगा।

मध्य प्रदेश की जीवनदायिनी मां नर्मदा के नाभिस्थल पर बसे नेमावर का जैन धर्म में विशेष स्थान है। जैन साहित्य में भी यहां का उल्लेख है। यहां खुदाई में जैन धर्म की मूर्तियां भी निकली हैं। आचार्यश्री से जुड़े रहे खातेगांव के नरेंद्र चौधरी ने बताया कि नेमावर में गुरुदेव के आशीर्वाद से ही जैन तीर्थ का निर्माण हो रहा है। पंच बाल यति मंदिर में ब्रह्मचारी पांच भगवान की मूर्तियां तो त्रिकाल चौबीसी जिनालय में भूत, वर्तमान और भविष्य काल के 24-24 जैन तीर्थंकरों की धातु से बनी मूर्तियां रहेंगी।

मेरी महासमाधि नर्मदा तट पर हो

आचार्यश्री का नर्मदा से इतना लगाव था कि अपने प्रवचनों में कई बार कहा करते थे कि महासमाधि नर्मदा तट पर हो। जैन साहित्य के निर्वाण कांड में नेमावर का उल्लेख है और इसे साधु-संतों की मोक्ष स्थली बताया गया है। कोरोना काल के दो वर्ष आचार्यश्री नेमावर में ही रहे। वर्ष 2021 के बाद उनका यहां से प्रस्थान हुआ। उन्हीं के आशीर्वाद से नेमावर तीर्थ का उद्धार हुआ और आज राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनी।

त्याग व साधना के लिए यह उत्तम स्थल

आचार्यश्री अक्सर नर्मदा के दर्शन के लिए जाते थे और कहते थे कि त्याग व साधना के लिए यह उत्तम स्थल है। चर्या संत के रूप में उनकी ख्याति थी, क्योंकि त्याग, तपस्या, संयम, नियम और अनुशासन के कारण उनका विशिष्ट स्थान रहा। कभी भौतिक सुख-सुविधाओं का उपयोग नहीं किया और निर्जन वनों व प्राकृतिक छटा में ही मन रमा। 1968 में उनकी मुनि दीक्षा हुई थी और 1972 में आचार्य बने।

कई हस्तियों ने लिया आशीर्वाद

नेमावर में आचार्यश्री के विहार के दौरान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केन्द्रीय मंत्री स्मृति इरानी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत, अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण ट्रस्ट के चंपत राय, सह सरसंघचालक कृष्णगोपाल, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान, उमा भारती, कमलनाथ सहित कई हस्तियां उनके दर्शन के लिए नेमावर आ चुकी हैं।

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