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Mumbai – मिरा रोड – राज्य के पहले वारकरी भवन का भूमि पूजन , 2 करोड़ की लागत से होगा भवन का निर्माण

हरी भक्त परायण इंदुरीकर महाराज ने किया भूमि पूजन; विठु माउली तु श्री हरि विट्ठल

विनय दूबे/  मुंबई : मिरा रोड 3 नवंबर तारीख,वारकरी संप्रदाय ( Warkari Bhawan Mira Road )  को देवउठनी एकादशी के ठीक एक दिन पहले मि.भा. मनपा आयुक्त ढोले और विधायक सरनाईक ने दिया वारकरी भवन का भक्तिमय उपहार। ज्ञात हो की सिर्फ मिरा भाईंदर शहर ही नहीं वरन पूरे महाराष्ट्र राज्य का पहला वारकरी भवन बनेगा। भवन के निर्माण की लागत लगभग २ करोड़ रुपए तक आएगी और करीब साल भर में भवन का निर्माण कार्य पूर्ण हो जायेगा,

यह भवन काशीमिरा महाजनवाड़ी के पास बन रहा है विधायक प्रताप सरनाईक के अनुसार भवन पूर्ण रूप से वारकरी संप्रदाय को समर्पित है इसलिए भवन का नाम भी संत ज्ञानेश्वर माऊली भवन रखा गया है।इसमें भक्तों की रहने की व्यवस्था,भजन कीर्तन से लेकर हर एक सुविधा रहेगी। भूमि पूजन के उपरांत भारत रत्न लता मंगेशकर नाट्यगृह में आयुक्त दिलीप ढोले ने हरि भक्त परायण श्री इंदुरीकर महाराज (Indurikar Maharaj ) को श्री विट्ठल रखुमाई की मूर्ति देकर सन्मान किया, तदउपरांत महाराज ने हरि कीर्तन गाकर उपस्थित सभी लोगों को मन्त्रमुग्ध कर दिया।और सभी श्री पांडुरंग की भक्ति में लीन हो गए ऐसा प्रतीत हो रहा था।

गौरतलब है की सनातन धर्म की भक्ति आध्यात्मिक परंपरा के अंतर्गत एक संप्रदाय है ,जो महाराष्ट्र से जुड़ा हुआ है । वारकरी पंढरपुर के पीठासीन देवता श्री हरि विट्ठल (जिन्हें श्री पांडुरंग के नाम से भी जाना जाता है) की पूजा करते हैं,वारकरियों से जुड़े प्रमुख संतों में श्री ज्ञानेश्वर ,संत नामदेव ,संत चोखामेला,संत एकनाथ और संत तुकाराम प्रमुख है।’वारकरी’ शब्द में ‘वारी’ शब्द अंतर्गत है। वारी का अर्थ है यात्रा करना,या फेरे लगाना। वारकरी श्री हरि भक्त होते है और सदा अपने आराध्य श्री हरि विष्णु (श्री पांडुरंग )की भक्ति में लीन रहते है। जो अपने आस्था स्थान की भक्तिपूर्ण यात्रा पुन: पुन: करता है, उसे वारकरी कहते हैं।

सामान्यत: उनकी वेशभूषा इस प्रकार होती है : धोती, अंगरखा, उपरना तथा टोपी। इसी के साथ कंधे पर भगवा रंग की ध्वजा, गले में तुलसी की माला, हाथ में वीणा तथा मुख में श्री हरि पांडुरंग का नाम जपते हुए वह वारी के लिए निकलते है। वारकरी संप्रदाय के भक्त अपने मस्तक,गले,और सीने,सीने के दोनों ओर, तथा दोनों भुजाएं ,कान एवं पेट पर चन्दन लगाते है।

विधायक प्रताप सरनाइक ने अपने सम्बोधन में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और मनपा आयुक्त दिलीप ढोले का आभार व्यक्त किया।
आयुक्त दिलीप ढोले ने संवाददाता से कहा की महाराष्ट्र संतो की भूमि है और हमारी संस्कृति, संस्कार और वारकरी भक्त की धरोहर से हमारी आने वाली पीढ़ी वंचित न रहे यही हमारा प्रयास है । राज्य सरकार से एक करोड़ का अनुदान भी मिल गया है। शहर की जनता की तरफ से मुख्य मंत्री का आभार व्यक्त करता हूँ।”पुण्डलिक वरदे हरि विट्ठल, श्री ज्ञानदेव तुकाराम,श्री पंढरीनाथ महाराज की जय “। ज्ञात हो की दिवाली पर्व में भी आयुक्त ढोले के निर्देशानुसार पहली बार मुख्यालय, शहर के सभी महत्वपूर्ण स्थल और पारिजात बंगला रोशनी से जगमगा उठे थे।

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