कोलकाता । लोकसभा चुनाव के दौरान पश्चिम बंगाल के लगभग सभी मतदान केदो पर सेंट्रल फोर्स की नियुक्ति की मांग भाजपा ने की थी लेकिन इसे मूर्त रूप देने को लेकर चुनाव आयोग असमंजस की स्थिति में है। दूसरी ओर तृणमूल कांग्रेस ने सेंट्रल फोर्स की तैनाती के बावजूद गोली नहीं चलाने और केंद्रीय बलों पर कई अन्य प्रतिबंध की मांग की थी। चुनाव आयोग ने इस पर सहमति दे दी है।
केंद्रीय बलों की निगरानी करने वाले एक शीर्ष अधिकारी ने बताया है कि चुनावी ड्यूटी के दौरान सेंट्रल फोर्स के जवान किस तरह का बर्ताव करेंगे और उन पर क्या कुछ प्रतिबंध रहेगा, इसे लेकर एक निर्देशिका जारी की गई है। इसमें सबसे पहले इस बात का उल्लेख किया गया है कि केंद्रीय बलों के जवान गोली चलाने को लेकर विशेष तौर पर सतर्क रहेंगे। हालांकि गोली चलाने पर रोक नहीं लगाई गई है लेकिन इसमें शर्त लगाया गया है कि जब तक आपकी जान को खतरा न हो अथवा चुनाव कर्मियों की जान की खतरा न हो तब तक गोली नहीं चलानी है।
ईवीएम और मतदान से संबंधित अन्य इंस्ट्रूमेंट के खतरे की सूरत में ही फायरिंग करनी है। वह भी जान ना जाए इसका ख्याल रखा जाना है। माना जा रहा है कि इससे सेंट्रल फोर्स की कार्यशैली को नियंत्रित करने की कोशिश हुई है। इसके आरोप राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी पर लग रहे हैं जिन पर भाजपा लगातार ममता बनर्जी के इशारे पर काम करने का आरोप लगाती रही है।
2021 के विधानसभा चुनाव में कूचबिहार के शीतलकूची में सेंट्रल फोर्स की फायरिंग में चार लोगों की मौत हो गई थी। तृणमूल कांग्रेस ने दावा किया था कि चारों उसके कार्यकर्ता थे और जानबूझकर केंद्रीय बलों के जवानों ने उन्हें गोली मारी। मामले में पुलिस ने हत्या की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। भाजपा का कहना है कि इस बार भी चुनाव के समय बड़े पैमाने पर हिंसा के आसार पश्चिम बंगाल में है इसलिए केंद्रीय बलों को खुली छूट दी जानी चाहिए ताकि वह पहले से मौजूदा नियमों के तहत कोई भी एक्शन लेने के लिए स्वतंत्र रहें। लेकिन चुनाव आयोग ने इसे नहीं माना है।