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पालघर- महिलाओं को होना पड़ता है काफी शर्मिंदा , नगर परिषद स्वच्छता अभियान की खुली पोल

चुनकर गए नगर सेवक विकास काम करने में हुए फेल

केशव भूमि नेटवर्क / पालघर : पालघर नगर परिषद के वार्डो में बने सर्वजनिक शौचालयों की खस्ता हालत और काफी महीनों से टूटे उनके दरवाजों नें नगर परिषद के स्वच्छता अभियान की पोल खोल कर रख दिया है. जिसके कारण एक बार फिर लोग छतरी के सहारे खुले मैदान में शौच करने को मजबूर है.

बता दे कि देश के प्रधान मंत्री मोदी द्वारा देश में चलाए गए स्वछता अभियान के तहत पालघर नगर परिषद नें वार्डो में सर्वजनिक शौचालयों का निर्माण करवाया था, ताकि लोग खुले मैदान में शौच करने के लिए न जाये. साथ ही उस समय नगर परिषद ने इस अभियान के तहत “गुड मोर्निंग पथक’’ नामक पथक भी बनाया था. यह पथक सुबह 6 बजे ही आ जाता था और स्वच्छता के नाम पर खुले मैदान में शौच करने गए लोगो को गुलाब का फुल देकर उनका स्वागत कर उन्हें शर्मिंदा किया करता था.ताकि वह दुबारा खुले मैदान में शौच करने के लिए न जाए.

लेकिन सर्वजनिक शौचालयों की खस्ता हालत ने एक बार फिर लोगों को खुले मैदान में शौच करने को मजबूर कर दिया है. दरवाजा विहीन इन शौचालयों में जो बुजुर्ग, महिला और बच्चे आ रहे है, वह काफी शर्मिंदा हो रहें है.

देखें वीडियो ………

शौचालयों की जल्द होंगी मरम्मत 

कैलास म्हात्रे – नगर सेवक व गट नेता, शिवसेना पा.न.प.

वैश्विक महामारी और लॉक डाउन के कारण पालघर नगर परिषद क्षेत्र में बने इन क्षतिग्रस्त सार्वजानिक शौचालयों की मरम्मत हम नही करवा पाए. लेकिन नगर परिषद ने इनके मरम्मत का काम शुरू कर दिया है. जल्द ही सभी क्षतिग्रस्त शौचालयों की मरम्मत हो जायेगी.- कैलास म्हात्रे नगर सेवक व गट नेता, शिवसेना पा.न.प.

नगर सेवक नें प्रधानमंत्री के स्वच्छता मिशन पर फेर पानी

 

मनोज दांडेकर, स्थानीय निवासी

पालघर नगर परिषद प्रशासन की लापरवाही के कारण शौचालयों की यह हालत हुई है. जो नगरसेवक चुनकर गए है वह पालघर का विकास काम करने में फेल है.और इन्हों ने देश के प्रधानमंत्री के स्वच्छता मिशन पर पानी फेर दिया है . मेरा कहना है की नगर परिषद को हर तीन महीनें में सभी शौचालयों का निरिक्षण कर उसका मरम्मत करना चाहिए ताकि लोग खुले मैदान में शौच के लिए न जाए.-मनोज दांडेकर, स्थानीय निवासी

महिलाओं को होना पड़ता है काफी शर्मिंदा 

 शौचालयों में दरवाजे नहीं होने के कारण हम महिलाओं को काफी शर्मिंदा होना पड़ता है, और रात के अंधेरे में शौच के लिए आना पड़ता है.काफ़ी महिलाये रात के अंधेरे में छतरी लेकर खुले मैदान में शौच के लिए चली जाती है, क्यों की उनके पास दूसरा कोई रास्ता नहीं है. – जरीना ,स्थानीय महिला

 

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