नई दिल्ली । मौजूदा समय में घर व फ्लैट खरीदना महंगा होता जा रहा है। कोरोना के बाद से लगातार संपत्तियों के दाम बढ़ रहे हैं, जिसके चलते निम्न और मध्य वर्ग के लिए घर खरीदना मुश्किल हो गया है। बीते दिनों वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ हुई बैठकों में भी आवास क्षेत्र से जुड़े लोगों ने संपत्तियों के तेजी से दाम बढ़ने का हवाला देकर बजट में अतिरिक्त रियायतें दिए जाने का मुद्दा उठाया। जानकार मान रहे हैं कि सरकार सारी स्थितियों को देखते हुए लोगों को बड़ी सौगात दे सकती है।
संपत्ति बाजार में बीते चार वर्षों से लगातार तेजी का दौर जारी है। फ्लैट से लेकर प्लॉट के रेट हर वर्ष 15-20 प्रतिशत तक बढ़ रहे हैं। इसके साथ ही निर्माण सामग्री भी महंगी हो रही है, जिसके चलते शहरों के अंदर निम्न आय वर्ग और मध्य आय वर्ग को ध्यान में रखकर बनाए जा रहे फ्लैट की कीमतों में इजाफा हुआ है। मौजूदा समय में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर खरीदने व बनाने पर लोन के अंदर सब्सिडी दी जाती है। अधिकतम 2.67 लाख रुपये की सब्सिडी प्रदान की जाती है। अब लोग चाहते हैं कि सरकार सब्सिडी को बढ़ाए, जिससे कि प्रॉपर्टी के बढ़े दामों का बोझ उन पर न पड़े।
रियायती हाउसिंग का बढ़े दायरा
किफायती आवास के तहत मौजूदा समय में 45 लाख रुपये तक का फ्लैट और घर खरीदने में जीएसटी से जुड़ी रियायत मिलती है। 45 लाख से कम की आवासीय संपत्ति पर एक प्रतिशत जीएसटी लगता है। लंबे समय से मांग की जा रही है कि किफायती आवासीय संपत्ति का दायरा बढ़ाया जाए। मेट्रो सिटी में 65 लाख और गैर-मेट्रो सिटी में 50 लाख होनी चाहिए। इसको लेकर आरबीआई ने भी सुझाव दिया था। इसलिए माना जा रहा है कि इस बार के बजट में यह सीमा बढ़कर 65 लाख रुपये की जा सकती हैं।
आयकर छूट को बढ़ाने की मांग
मौजूदा समय में आयकर अधिनियम की धारा-80 सी के तहत डेढ़ लाख रुपये तक का निवेश करने पर छूट मिलती है, जिसे बढ़ाकर ढाई लाख किए जाने की मांग की जा रही है। इसके साथ ही आवास ऋण पर धारा 24 बी के तहत दो लाख की छूट उपलब्ध होती है, जिसे बढ़ाकर पांच लाख किए जाने की मांग भी हो रही है। ऐसे मे संभावना जताई जा रही है कि सरकार इसे बढ़ाकर तीन से चार लाख रुपये कर सकती है।
उद्योग का दर्जा दिए जाने की मांग
संपत्ति क्षेत्र से जुड़े कारोबारी सरकार से मांग कर रहे हैं कि वह संपत्ति बाजार में निवेश को बढ़ाने के लिए इसे उद्योग का दर्जा दे, जिससे कि उद्योग की तर्ज पर ही इस क्षेत्र को भी करों से जुड़ी छूट का लाभ मिल सके। अगर सरकार ऐसा करती है तो उससे सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि एकल खिड़की व्यवस्था की तर्ज पर परियोजना को मंजूरी मिलने का रास्ता साफ हो सकेगा।
अभी तक अगर कहीं हाउसिंग सोसायटी बनानी होती है तो उसके लिए अलग-अलग जगह से अनुमति लेनी होती है लेकिन उद्योग का दर्जा दिए जाने पर कई सारी सुविधाएं एकसाथ मिल सकेंगी।