नई दिल्ली । दिल्ली की एक उपभोक्ता अदालत ने एक इंश्योरेंस कंपनी को मुआवजे के तौर पर एक उपभोक्ता को 4 लाख रुपये देने का आदेश दिया है। मध्य दिल्ली के जिला उपभोक्ता अदालत ने कहा कि इंश्योरेंस कंपनी की इस हरकत के कारण उपभोक्ता को असुविधा, परेशानी, मानसिक तनाव और आर्थिक रूप से घाटे का सामना करना पड़ा।
दरअसल, निश्चल जैन ने जिला उपभोक्ता अदालत में इंश्योरेंस कंपनी के खिलाफ शिकायत की थी। जैन का कहना है कि उनकी पत्नी की डिलेवरी के दौरान ऑपरेशन के लिए उन्होंने इंश्योरेंस कंपनी में 4.77 लाख रुपये का क्लेम किया था। कंपनी ने 2.15 लाख रुपये ही दिए थे। अदालत ने कंपनी को आदेश दिया कि वह शिकायतकर्ता को 50 हजार रुपये मुआवजा, पेंडिंग क्लेम के बदले ब्याज सिहत 3.25 लाख रुपये और केस में खर्चे के लिए 25 हजार रुपये का भुगतान करे। अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ता के पास मान्य बीमा पॉलिसी था और वह समय पर उसका प्रीमियम भी दे रहा था।
2015 में अपनी फैमिली के लिए मेडिकल इंश्योरेंस लिया था
शिकायतकर्ता निश्चल जैन ने 2015 में अपनी फैमिली के लिए एक मेडिकल इंश्योरेंस लिया था। इसमें वह खुद, उनकी पत्नी और नाबालिग बच्चा कवर थे। 2006 में अपने दूसरे बच्चे के जन्म के बाद उसका भी नाम दर्ज कराया था। वह बिना रुकावट के लगातार प्रीमियम भी भर रहे थे। जब उन्होंने क्लेम किया था तो उनका पॉलिसी चालू था। कंपनी ने उन्हें किसी भी बड़े अस्पताल में बिना खर्च इलाज प्रदान करने की सुविधा का आश्वासन दिया था।
कंपनी ने पॉलिसी के टर्म एंड कंडीशन को ताक पर रखा
2014 में जब उनकी पत्नी को गुरुग्राम के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया तो अस्पताल प्रशासन ने बिना पैसे के जांच से इनकार कर दिया। जैन को पत्नी की इलाज में 5 लाख रुपये खर्च करने पड़े। उन्होंने इंश्योरेंस कंपनी में 4.77 लाख रुपये का क्लेम किया, लेकिन कंपनी ने सिर्फ 2.15 लाख रुपये ही अप्रूव किया।
अदालत ने पाया कि इंश्योरेंस कंपनी ने बिना किसी उचित कारण के पॉलिसी के टर्म एंड कंडीशन को ताक पर रखते हुए क्लेम की रकम घटा दी। अदालत ने इसे कंपनी के सर्विस में कोताही मानते हुए मुआवजा का आदेश दिया।