Thursday, September 19, 2024
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कोलगेट-पामोलिव को 248.74 करोड़ का टैक्स नोटिस, 31 तक दाखिल कर सकेंगे ITR

नई दिल्‍ली। कोलगेट-पामोलिव (इंडिया) लिमिटेड को ट्रांसफर प्राइसिंग से जुड़े मामले में 248.74 करोड़ रुपये का टैक्स डिमांड नोटिस आय कर विभाग ने थमाया है। एफएमसीजी कंपनी कोलगेट-पामोलिव इंडिया लिमिटेड (सीपीआईएल) के प्रमुख के अनुसार अपीलीय न्यायाधिकरण के समक्ष आदेश को चुनौती दी जाएगी। यह कंपनी दांतों की देखभाल के क्षेत्र में काम करती है। बता दें, वित्त वर्ष 2023-24 में सीपीआईएल की शुद्ध बिक्री 5,644 करोड़ रुपये थी। कंपनी की ओर से एक नियामक फाइलिंग के अनुसार, नोटिस 26 जुलाई को मिला है।

ट्रांसफर प्राइसिंग से संबंधित मुद्दों के लिए आयकर की मांग 31 मार्च, 2021 को समाप्त वित्तीय वर्ष के लिए है। सीपीआईएल ने कहा कि मांग राशि में 79.63 करोड़ रुपये की ब्याज राशि शामिल है। सीपीआईएल ने कहा कि इस आदेश के कारण कंपनी के वित्तीय संचालन या अन्य गतिविधियों पर प्रभाव नहीं पड़ेगा। यह मांग मुख्य रूप से स्थानांतरण मूल्य-संबंधी मुद्दों के कारण की गई है।

आयकर विभाग ने कहा कि आयकर रिटर्न दाखिल करने वाले खर्चों के लिए फर्जी दावे न करें और न ही आय को कम बताएं या कटौतियों को बढ़ा-चढ़ाकर न बताएं क्योंकि ऐसा करना दंडनीय अपराध है। ऐसा करने से रिफंड जारी करने में भी देरी होती है। आकलन वर्ष 2024-25 के लिए आईटीआर दाखिल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई है। आयकर विभाग और उसके प्रशासनिक निकाय केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के अनुसार 26 जुलाई तक पांच करोड़ से अधिक आईटीआर दाखिल किए जा चुके हैं। हाल ही में एक सार्वजनिक संदेश में आयकर विभाग ने करदाताओं से समय पर रिफंड पाने के लिए अपना रिटर्न सही तरीके और सही समय से दाखिल करने को कहा।

विभाग ने कहा कि रिफंड के दावे सत्यापन जांच के अधीन हैं, जिससे देरी हो सकती है। आईटीआर की सही फाइलिंग से रिफंड की प्रक्रिया शीघ्र हो जाती है। किए गए दावों में कोई भी विसंगति होने पर संशोधित रिटर्न (करदाता की ओर से दाखिल किया जाने वाला) के लिए अनुरोध किया जाएगा। विभाग ने लोगों से गलत स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) राशि का दावा नहीं करने, अपनी आय को कम करके नहीं दिखाने या कटौती को बढ़ा-चढ़ाकर नहीं बताने या फर्जी खर्चों के लिए दावे पेश नहीं करने के लिए आगाह किया। विभाग ने कहा कि करदाताओं के दावे सही और सटीक होने चाहिए। झूठा या फर्जी दावा दायर करना दंडनीय अपराध है।

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