वॉशिंगटन. अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवारों की बयानबाजी तेज हो गई है. उम्मीदवारों के बयानों से एक अलग ही तपिश महसूस होने लगी है. रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी विरोधी कमला हैरिस पर जुबानी हमले तेज कर दिए हैं. बड़बोलेपन के लिए ख्यात ट्रंप ने अपने हालिया बयान में कमला हैरिस की नस्लीय पहचान पर सवाल खड़े कर दिए. ट्रंप ने कहा कि हैरिस भारतीय हैं या अश्वेत, उन्होंने आरोप लगाया कि कमला हैरिस अश्वेत पहचान का इस्तेमाल चुनावी फायदे के लिए कर रहीं हैं, जबकि कुछ दिन पहले तक वो भारतीय मूल की थीं.
ट्रंप के इस बयान का कमला हैरिस ने भी जोरदार जवाब दिया है, और इस चुनावी मौसम में उनका ये बयान बैकफायर कर सकता है. डोनाल्ड ट्रंप की ये टिप्पणी भारतीय और अश्वेत अमेरिकियों दोनों को ही नाराज़ कर सकती है. नस्लीय पहचान किसी भी शख्स के लिए एक भावनात्मक मुद्दा होता है. अमेरिका में तो नस्लीय भेदभाव को लेकर अक्सर सवाल उठते रहे हैं, ऐसे में किसी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की ओर से की गई इस तरह की टिप्पणी चुनाव में बड़ी गलती साबित हो सकती है.
अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की मां श्यामला गोपालन भारतीय मूल की हैं, वो तमिलनाडु की रहने वाली थीं. हैरिस के पिता डोनाल्ड जे. हैरिस जमैकन थे. कमला हैरिस का जन्म 20 अक्टूबर, 1964 को कैलिफोर्निया के ओकलैंड में हुआ था. हालांकि, उनकी पैदाइश के करीब 7 साल बाद उनके माता-पिता एक दूसरे से अलग हो गए, लेकिन कमला हैरिस की परवरिश उनकी मां ने ही की. लिहाज़ा कमला हैरिस पर अपनी मां का गहरा प्रभाव रहा है. ऐसे में उनकी पहचान अश्वेत और भारतीय दोनों से ही जुड़ी हुई है.
पीईडब्ल्यू रिसर्च के मुताबिक अमेरिका में करीब साढ़े 3 करोड़ अश्वेत अमेरिकी वोटर हैं जो कुल मतदाता का 14 फीसदी हैं. एशियाई वोटर्स की संख्या करीब डेढ़ करोड़ हैं जिसमें सबसे ज्यादा करीब 21 लाख भारतीय अमेरिकी मतदाता शामिल हैं. अश्वेत अमेरिकियों के लिए नस्लभेद का मुद्दा काफी अहम है, अगर वोटिंग पैटर्न की बात की जाए तो करीब 84 फीसदी अश्वेत अमेरिकी वोटर डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थक माने जाते हैं, तो वहीं महज़ 11 फीसदी अश्वेत अमेरिकी वोटर रिपब्लिकन पार्टी के समर्थक हैं.
अमेरिका में बीते कुछ सालों में भारतीय आबादी काफी तेज़ी से बढ़ी है. यहां भारतीय अमेरिकी आबादी करीब 44 लाख है, जो कुल अमेरिकी आबादी का करीब 1.5 फीसदी है. अमेरिका में मौजूद एशियाई समूहों में सबसे ज्यादा आबादी भारतीय अमेरिकियों की है, साथ ही इसमें 21 लाख से ज्यादा भारतीय मतदाता हैं. यही नहीं भारतीय अमेरिकी मतदाता चुनाव में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं, 2020 में 71 फीसदी भारतीय अमेरिकियों ने अपने वोट का इस्तेमाल किया था. 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में जो बाइडेन को करीब 65 फीसदी भारतीय अमेरिकी वोट मिले थे. वहीं खराब अर्थव्यवस्था और इजराइल-गाजा संघर्ष के मुद्दे के चलते इसमें हाल के दिनों में गिरावट देखने को मिली है, लेकिन अब जबकि बाइडेन रेस में नहीं हैं तो उम्मीद जताई जा रही है कि कमला हैरिस के लिए यह समर्थन बढ़ सकता है.
रिपब्लिकन पार्टी की बात करें तो 2020 में ट्रंप को महज 28 फीसदी भारतीय अमेरिकी वोटर्स का साथ मिला था, जिसमें फिलहाल कोई खास बढ़ोतरी नहीं दिखाई दे रही है. एक रिसर्च के मुताबिक फिलहाल केवल 29 फीसदी भारतीय अमेरिकी ही ट्रंप का समर्थन कर रहे हैं. इससे साफ पता चलता है कि सही उम्मीदवार भारतीय अमेरिकियों को डेमोक्रेट्स की ओर वापस ला सकता है.
कमला हैरिस की भारतीय पहचान इन वोटर्स को उनके पक्ष में जाने को मजबूर कर सकती है. अमेरिका में भारतीय अमेरिकियों की ताकत का अंदाज़ा महज़ इस बात से लगाया जा सकता है कि अकेले वॉशिंगटन में भारतीय अमेरिकियों की आबादी राज्य की आबादी का सिर्फ 2 फीसदी है, लेकिन राजनीति और प्रशासन में भारतीय अमेरिकियों की तादाद 4 फीसदी से भी ज्यादा है.
अमेरिका में रह रहे भारतीय अमेरिकी और अश्वेत वोटर्स ने अगर कमला हैरिस की नस्लीय पहचान को लेकर ट्रंप की टिप्पणी से खुद को जोड़ना शुरू कर दिया तो मुमकिन है कि यह उनके लिए नुकसानदायक हो. वैसे तो इन दोनों ही गुटों की एक बड़ी आबादी डेमोक्रेटिक पार्टी के वफादार वोटर माने जाते हैं लेकिन जो बाइडेन की वजह से इनका समर्थन घटता दिखा रहा था. लेकिन कमला हैरिस की उम्मीदवारी और ट्रंप का उनकी नस्लीय पहचान पर हमला इन दोनों वोटर्स को डेमोक्रेटिक पार्टी के पक्ष में एकजुट कर सकता है.