नई दिल्ली । बहुजन समाज पार्टी (Bahujan samaj party)के अकेले लड़ने के ऐलान(announcement) से यूपी में भाजपा (B J P)के खिलाफ एक प्रत्याशी उतारने की मुहिम (campaign)को झटका लगा है। पर अब सपा इंडिया गठबंधन में सीट तय करने में निर्णायक भूमिका में होगी और अब तक मायावती कार्ड खेल रही कांग्रेस पर दबाव भी बढ़ेगा। असल में सपा शुरू से ही इंडिया गठबंधन में बसपा के साथ आने को लेकर उत्साहित नहीं थी, इसलिए अखिलेश यादव ने बसपा पर भरोसे का सवाल उठाया। संकेत दिया कि बसपा चुनाव बाद भाजपा के साथ जा सकती है।
सपा को आशंका थी कि बसपा के आने से एक ओर उसकी गठबंधन में मुख्य धुरी वाली भूमिका नहीं रहेगी। साथ ही बसपा को 80 सीटों में बड़ा हिस्सा देना पड़ता था या यूं कहें कि सपा को अपने बराबर ही सीटें देनी पड़तीं। असल में कांग्रेस बसपा की इंट्री के जरिए सपा पर दबाव बनाने की जुगत में थी। सपा और बसपा दोनों को लगता है कि 2019 के आम चुनाव में सहयोगी दल ने अपना वोट ट्रांसफर नहीं कराया। हालांकि कांग्रेस को बसपा के आने से फायदा होता। एक तो उसे सपा और बसपा दोनों मजबूत पार्टियों का वोट मिलता और दूसरे वह सीटों को लेकर सपा पर दबाव भी बना सकती थी।
मुस्लिम वोट को लेकर होगा बंटवारा
वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा को एकमुश्त मुस्लिम वोट मिला लेकिन अब इस पर कांग्रेस की भी दावेदारी है और बसपा भी कुछ सीटों पर इस समुदाय में अभी भी असर रखती हैं। माना जा रहा है कि मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर अगर बसपा ने मुस्लिम प्रत्याशी खड़े किए तो सपा की एक मुश्त मुस्लिम वोट पाने के अरमानों पर पानी फिर सकता है।