नई दिल्ली। भारत में ईरानी राजदूत इराज इलाही ने शुक्रवार को कहा कि चाबहार बंदरगाह और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे के विकास में दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ते द्विपक्षीय संबंधों का प्रमाण है।
ईरान और भारत के बीच विभिन्न क्षेत्रों में आर्थिक संबंध विकसित हो रहे हैं। चाबहार बंदरगाह का विकास दोनों देशों को जोड़ने वाले सुनहरे प्रवेश द्वार के रूप में है। हिंद महासागर से मध्य एशिया और काकेशस तक और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे में बढ़ते सहयोग और द्विपक्षीय संबंधों के महत्वपूर्ण उदाहरण हैं।
ईरान में चाबहार बंदरगाह को भारत की कनेक्टिविटी पहल के एक प्रमुख घटक के रूप में देखा जाता है। इसका अत्यधिक महत्व है क्योंकि यह भारत, ईरान, अफगानिस्तान और मध्य एशिया के बीच व्यापार के लिए एक व्यवहार्य और छोटा मार्ग प्रदान करता है। INSTC एक बहु-मॉडल परिवहन मार्ग है, जो हिंद महासागर और फारस की खाड़ी को ईरान के माध्यम से कैस्पियन सागर और रूस में सेंट पीटर्सबर्ग के माध्यम से उत्तरी यूरोप तक जोड़ता है।
ईरान की 45वीं वर्षगांठ के अवसर पर एक कार्यक्रम में इलाही ने कहा कि पिछले अगस्त में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के मौके पर ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच सौहार्दपूर्ण बैठक ने दोनों देशों के बीच अच्छे सहयोग में नए चरण का मार्ग प्रशस्त किया। ऊर्जा संपन्न ईरान के दक्षिणी तट पर सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित चाबहार बंदरगाह कनेक्टिविटी और व्यापार संबंधों को बढ़ावा देने के लिए भारत और ईरान द्वारा विकसित किया जा रहा है।
भारत क्षेत्रीय व्यापार को बढ़ावा देने, खासकर अफगानिस्तान से इसकी कनेक्टिविटी के लिए इस परियोजना पर जोर दे रहा है। भारत और ईरान ने बंदरगाह को आइएनएसटीसी परियोजना के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में पेश किया है। आइएनएसटीसी भारत, ईरान, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के बीच माल ढुलाई के लिए 7,200 किलोमीटर लंबी मल्टी-मोड परिवहन परियोजना है।