नई दिल्ली। लंबित मांगों को लेकर बड़ी संख्या में किसान दिल्ली में डेरा डालने में मूड में हैं। उनकी दिल्ली में इंट्री न हो इसके लिए प्रशासन ने कई तरह के इंतजाम किए हैं। इसके बाद भी लोगों में डर है कि कहीं पिछले साल जैसा ही आंदोलन इस बार भी न हो जाए। कई महीनों तक ढेरा जमा लिया तो फिर वही मुसीबत होगी तो पिछले आंदोलन के दौरान हुई थी। इन तमाम परिस्थितयों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की है। जिसमें किसानों के दिल्ली चलो मार्च को स्वत: संज्ञान लेकर एक्शन लेने का अनुरोध किया है।
बार एसोसिएशन ने सीजेआई चंद्रचूड़ सिंह को एक चिट्ठी लिखी है जिसमें कहा गया है कि किसान गलत उद्देश्यों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। इसलिए अनुरोध है कि आम लोगों को मुश्सिकलों से बचाने के लिए तत्काल इस पर संज्ञान लिया जाना चाहिए। किसानों के 2020-21 वाले आंदोलन के दौरान लोगों को बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ा था। इसके साथ ही इसमें दावा किया गया कि पिछले किसान आंदोलन की चलते कई लोगों की मौत भी हो गई थी। ऐसे में आज किसान दिल्ली की तरफ बढ़ रहे हैं। ऐसे आंदोलन में गलत उद्देश्य से शामिल किसानों पर स्वत संज्ञान लेकर कार्रवाई की जाए।
सीजेआई चंद्रचूड को लिखे पत्र में उनसे आग्रह किया गया है कि किसानों के विरोध प्रदर्शन के कारण जो वकील कोर्ट में पेश नहीं हो पाए हैं उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। वहीं दूसरी तरफ किसान संगठनों के दिल्ली मार्च के मद्देनजर सीमाएं सील करने और मोबाइल इंटरनेट सेवाओं पर रोक लगाने के हरियाणा सरकार के फैसले के खिलाफ पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में भी सोमवार को एक याचिका दायर की गई है। इसमें याचिकाकर्ता उदय प्रताप सिंह ने अदालत से किसानों के विरोध प्रदर्शन के खिलाफ हरियाणा और पंजाब की सरकारों और केंद्र की सभी कार्रवाइयों पर रोक लगाने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया है।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि इन कदमों से मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है और ये ‘असंवैधानिक’ हैं। इस मामले पर आज यानी मंगलवार को सुनवाई होने की उम्मीद है।