नई दिल्ली । पाकिस्तान में चुनाव नतीजों की घोषणा हुए एक सप्ताह से अधिक समय बीत चुका है। हालांकि, अभी तक नई सरकार की तस्वीर साफ नहीं हो सकती है। ऐसा इसलिए हुआ कि पाकिस्तान की जनता ने किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नहीं दिया है। नतीजों को लेकर जैसे-जैसे तस्वीर साफ होती गई, सरकार बनाने को लेकर सियासी समीकरण साधने में सभी दल जुट गई।
पूर्व प्रधानमंत्री और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) सुप्रीमो नवाज शरीफ और उनके पूर्व सहयोगी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के बीच सहमति बनती दिख रही थी, लेकिन अब जो खबर सामने आ रही है उसके मुताबिक कम ही संभावना बची है।
दैनिक आधार पर संभालना आसान नहीं होगा
9 फरवरी को नवाज शरीफ ने अपने छोटे भाई और पूर्व प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को गठबंधन सरकार बनाने की जिम्मेदारी सौंपी थी। लेकिन जेयूआई-एफ के अमीर फजल-उर-रहमान ने पाकिस्तानी मीडिया को दिए साक्षात्कार में दावा किया कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के प्रमुख और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और आईएसआई के बीच एक डील हुई है। उन्होंने यह भी दावा किया है कि पीएमएल-एन को लगता है कि पीपीपी के जरदारी के साथ बातचीत करना और पीटीआई समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों को दैनिक आधार पर संभालना आसान नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि इस सप्ताह की शुरुआत में नवाज शरीफ द्वारा भाई शहबाज को पीएम पद के लिए नामित करने के बावजूद पीएमएल-एन सुप्रीमो को अब एहसास हो रहा है कि विपक्ष में ही बैठना बेहतर है।
अदियाला जेल में इमरान खान से मुलाकात
पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी, इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के टॉप अधिकारियों ने अदियाला जेल में इमरान खान से मुलाकात की और एक सौदा किया जिसके बाद इमरान ने उमर अयूब खान को अपना पीएम उम्मीदवार नॉमिनेट किया। उन्होंने आगे कहा कि किसी भी सरकार के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव का मुकाबला करते हुए पीटीआई के नेतृत्व वाले विपक्ष को संभालना आसान नहीं होगा।
नेताओं ने कहा कि पीपीपी के जरदारी ने अभी तक इन घटनाक्रमों पर टिप्पणी नहीं की है, लेकिन ऐसा लगता है कि पीएमएल-एन से इस स्थिति में अपनी योजनाओं से पीछे हटने का आग्रह किया जाएगा।