नई दिल्ली । लोकसभा चुनाव से पहले सियासी हलचल तेज हो चुकी है। विपक्षी दलों के गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इंक्लूजिव अलायंस (INDIA) को लगातार एक के बाद एक झटका लग रहा है। पहले ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस, फिर नीतीश कुमार की जदयू और अब जयंत चौधरी की आरएलडी… इस बीच कांग्रेस मायावती की पार्टी बसपा को अपने साथ लाने की कोशिश में जुट गई है।
मायावती की अहमियत समझती हैं विपक्षी पार्टियां
कांग्रेस ने मायावती को विपक्षी दलों के साथ आने के लिए न्योता दिया है, क्योंकि सभी विपक्षी पार्टियां उनकी अहमियत समझती हैं। उत्तर प्रदेश में 80 लोकसभा सीटें हैं, ऐसे में पिछले लोकसभा चुनाव में जब सपा-बसपा साथ मिलकर चुनाव लड़ी थीं, उस वक्त मायावती का अच्छा खासा प्रदर्शन देखने को मिला था। मगर अब सपा-बसपा के बीच दरार इस कदर बढ़ चुकी है कि अखिलेश और मायावती एक-दूसरे को पानी पी-पीकर कोसते रहते हैं।
2019 के आंकड़ों से समझिए बसपा की कितनी अहम
पिछले लोकसभा चुनाव 2019 के आंकड़ों पर नजर डालें तो जब कांग्रेस ने सपा-बसपा से अलग मिलकर चुनाव लड़ा था तो यूपी की 80 सीटों में से भाजपा को 62 जीटों पर जीत हासिल हुई थी, जबकि बसपा यहां दूसरी बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। मायावती के खाते में 10 सीटें गई थीं, जबकि अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी को महज 5 सीटों से संतोष करना पड़ा था। वहीं अपना दल को 2 सीट और कांग्रेस को महज एक सीट नसीब हुई थी।
मायावती को साथ लाने की कोशिश में कांग्रेस
कांग्रेस के उत्तर प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे ने रविवार को कहा कि बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के लिए विपक्षी गठबंधन ‘INDIA’ के दरवाजे खुले हैं और अब मायावती को तय करना है कि वह आगामी लोकसभा चुनाव भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ एकजुट होकर लड़ना चाहती हैं या अकेले अपने दम पर। कांग्रेस महासचिव ने कहा कि विपक्षी गठबंधन ‘INDIA’ खुले दिल से चाहता है कि बसपा भी इस गठबंधन का हिस्सा बने, लेकिन मायावती पहले ही घोषणा कर चुकी हैं कि वह लोकसभा चुनाव अकेले लड़ेंगी।
‘पूरे दिल से’ सपा के समर्थन में है कांग्रेस
राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माने जाने वाले राज्य उत्तर प्रदेश में ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के दौरान पांडे ने कहा कि कांग्रेस ‘पूरे दिल से’ समाजवादी पार्टी का समर्थन कर रही है। उन्होंने विश्वास जताया कि लोकसभा चुनावों के लिए राज्य में सीट-बंटवारे पर जल्द ही गतिरोध को दूर कर समझौते को अंतिम रूप दे दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस-सपा गठबंधन उत्तर प्रदेश में उन छोटे दलों के साथ भी बातचीत कर रहा है, जो लोकसभा चुनाव में भाजपा से मुकाबला करने के लिए विपक्षी गठबंधन ‘INDIA’ में शामिल होंगे। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस महीने के अंत तक सभी मुद्दों को सुलझा लिया जाएगा।
महीने के अंत तक सुलझा लिया जाएगा मुद्दा
अविनाश पांडे ने कहा, ‘उनमें (छोटे दलों) में से कुछ बिना शर्त शामिल हो रहे हैं और कुछ दलों को कुछ उम्मीदें हैं, इसलिए (उत्तर प्रदेश में सीट-बंटवारे को अंतिम रूप देने में) थोड़ा समय लग रहा है, लेकिन इस महीने के अंत तक सभी मुद्दों को सुलझा लिया जाएगा।’ अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली सपा के साथ सीट बंटवारे को लेकर बातचीत पर पांडे ने कहा कि बातचीत काफी हद तक सकारात्मक रूप से चल रही है।
उन्होंने कहा, ‘जब आप किसी गठबंधन का हिस्सा बनते हैं तो आपको बातचीत करनी होती है और तर्कसंगत तरीके से तय करना होता है कि सबसे अच्छा उम्मीदवार कौन होगा, जो भाजपा को उचित टक्कर दे पाएगा।’ उन्होंने कहा कि इसलिए हम इसका विश्लेषण कर रहे हैं और मुझे पूरी उम्मीद है कि जल्द ही सीट बंटवारे के ‘फॉर्मूले’ को अंतिम रूप दे दिया जाएगा।