नई दिल्ली। प्रशासनिक कार्यों में निजी क्षेत्र में अहम योगदान देने वाले 25 विशेषज्ञों को प्रमुख पदों पर शामिल किया जाएगा। इस बारे में अधिकारियों ने जानकारी दी है। अधिकारियों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की नियुक्ति समिति (एसीसी) ने केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों में तीन संयुक्त सचिवों और 22 निदेशकों/उप सचिवों की नियुक्ति को मंजूरी दे दी है।
लेटरल एंट्री के जरिए होगी नियुक्ति
बता दें कि आमतौर पर संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव के पद पर अखिल भारतीय सेवाओं जैसे- भारतीय प्रशासनिक सेवा (AIS), भारतीय पुलिस सेवा (IPS) और भारतीय वन सेवा (IFS) सहित अन्य समूह ए के अधिकारियों को रखा जाता है। अधिकारियों ने बताया कि इसकी शुरुआत लेटरल एंट्री के आधार पर की जाएगी। इसमें सरकारी विभागों में निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों की नियुक्ति की जाएगी, जिसका उद्देश्य सरकार में नई प्रतिभा और परिप्रेक्ष्य लाना है।
2018 में शुरू हई थी लेटरल एंट्री स्कीम
बता दें कि 2018 में शुरू की गई लेटरल एंट्री स्कीम के तहत संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव स्तर पर भर्तियां की जाती हैं। इन स्तरों पर अधिकारी नीति-निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जो अधिकारी लेटरल एंट्री स्कीम के माध्यम से आते हैं वे सरकारी प्रणाली का अभिन्न अंग बन जाते हैं। कार्मिक मंत्रालय ने जून 2018 में पहली बार लेटरल एंट्री स्कीम के माध्यम से 10 संयुक्त सचिव-रैंक पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए थे। इन पदों के लिए भर्ती संघ लोक सेवा आयोग (UPSC ) द्वारा निकाली गई थी।
अब तक 38 लोग हुए शामिल
अधिकारियों ने कहा कि आयोग ने अक्टूबर 2021 में फिर से विभिन्न केंद्र सरकार के विभागों में संयुक्त सचिव (3), निदेशक (19), और उप सचिव (9) के रूप में नियुक्ति के लिए 31 उम्मीदवारों की सिफारिश की थी। उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र के कुल 38 विशेषज्ञ – जिनमें 10 संयुक्त सचिव और 28 निदेशक/उप सचिव शामिल हैं, अब तक सरकार में शामिल हो चुके हैं। वर्तमान में 8 संयुक्त सचिवों, 16 निदेशकों और 9 उप सचिवों सहित 33 ऐसे विशेषज्ञ हैं, जो प्रमुख सरकारी विभागों में काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि दो संयुक्त सचिवों ने अपना पूरा तीन साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है।