भदोही। भदोही लोकसभा से टीएमसी के प्रत्याशी पूर्व मुख्यमंत्री पंडित कमलापति त्रिपाठी के परपौत्र ललितेश मणि त्रिपाठी होंगे। सपा मुखिया अखिलेश यादव द्वारा भदोही की सीट तृणमूल को देने के बाद देर शाम तृणमूल ने ललितेश के नाम की घोषणा की।
पूर्वांचल की बहुचर्चित भदोही लोकसभा सीट सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शुक्रवार को तृणमूल कांग्रेस के खाते में दे दी। उसके तुरंत बाद ही तृणमूल कांग्रेस की चेयरपर्सन ममता बनर्जी ने ललितेशपति त्रिपाठी को प्रत्याशी बनाने की घोषणा कर दी।
समाजवादी पार्टी की गढ़ मानी जाने वाली भदोही लोकसभा सीट को तृणमूल के खाते में देने से राजनीतिक विश्लेषक भी हतप्रभ हैं। सपा के टिकट पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे नेताओं को भी झटका लगा है।
भदोही लोकसभा सीट में कुल पांच विधानसभा सीट हैं। इसमें भदोही जिले की ज्ञानपुर, भदोही और औराई जबकि प्रयागराज की प्रतापपुर एवं हंडिया सीट शामिल है। भदोही लोकसभा सीट पर ब्राह्मण वोटर निर्णायक माने जाते हैं।
ब्राह्मण वोटरों को साधने के लिए यह कदम उठाया गया है। कांग्रेस के दिग्गज नेता और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी के प्रपौत्र ललितेशपति त्रिपाठी कांग्रेस के टिकट पर मिर्जापुर की मड़िहान सीट से विधायक रह चुके हैं।
ललितेश के नाम की घोषणा के बाद अब सबकी नजरें भाजपा प्रत्याशी के नाम पर टिक गई हैं। सपा जिलाध्यक्ष प्रदीप यादव ने कहा कि शीर्ष नेतृत्व का निर्णय है। पार्टी इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी को जिताने के लिए पूरी ताकत लगाएगी।
वाराणसी मे कांग्रेस की राजनीति का केंद्र औरंगाबाद हाउस (पं. कमलापति त्रिपाठी का आवास) माना जाता था। कांग्रेस के टिकट पर डॉ राजेश मिश्र के जीतने के बाद कांग्रेस की राजनीति का केंद्र औरंगाबाद के अलावा उनका घर (खजूरी) भी हो गया था। औरंगाबाद हाउस और खजुरी हाउस में खींचतान चलती रहती थी।
पूर्व सांसद डॉ राजेश मिश्रा के भाजपा में चले जाने के बाद इस बात के कयास तेज हो गए थे कि उनको भाजपा भदोही से मैदान में उतार सकती है। इसको देखते हुए ललितेश पति त्रिपाठी की भदोही से चुनाव लड़ने की संभावना तेज हो गई थी। पं. कमलापति त्रिपाठी का परिवार भी तृणमूल कांग्रेस में चला गया था। ऐसे में जैसे ही सीट तृणमूल कांग्रेस के खाते में आई, ललितेश की उम्मीदवारी तय हो गई।
तीन सप्ताह पूर्व सपा मुखिया के साथ ललितेश की वायरल फोटो से बढ़ी थी सरगर्मी
यूपी के पूर्व सीएम कमला पति त्रिपाठी के परपौत्र ललितेश पति त्रिपाठी यूपी की सियासत के प्रतिष्ठित परिवार से आते हैं। भदोही लोकसभा की सीट इंडी गठबंधन के तहत तृणमूल के खाते में जाने की चर्चा तब ही शुरू हो गई थी। जब ललितेश मणि त्रिपाठी की फोटो यूपी के पूर्व सीएम व सपा मुखिया अखिलेश यादव के साथ वायरल हुई थी।
करीब तीन सप्ताह पहले ललितेश मणि त्रिपाठी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर अखिलेश यादव के साथ तस्वीर पोस्ट कर राजनीतिक कयासों को हवा दी थी। शुक्रवार की देर शाम टीएमसी प्रत्याशी के रूप में उनके नाम की घोषणा के साथ कयासों पर विराम लग गया। बहुचर्चित भदोही सीट टीएमसी के खाते में जाने के बाद सपा के कई कद्दावर नेताओं को झटका लगा है।
प्रतिष्ठित राजनीतिक परिवार से आते हैं ललितेश
मिर्जापुर के मड़िहान के पूर्व विधायक व टीएमसी नेता ललितेश पति त्रिपाठी यूपी के प्रतिष्ठित राजनीतिक परिवार से आते हैं। कद्दावर कांग्रेस नेता व पूर्व सीएम कमलापति त्रिपाठी के परपौत्र ललितेश कांग्रेस की उत्तर प्रदेश इकाई के उपाध्यक्ष भी रहे। 2021 में उन्होंने पार्टी पर उपेक्षा का आरोप लगाते हुए कांग्रेस छोड़ दिया। ललितेश पति त्रिपाठी प्रियंका गांधी के करीबी माने जाते थे। उन्होंने साल 2012 में मड़िहान विधानसभा क्षेत्र से जीत हासिल की थी। साल 2019 का लोकसभा चुनाव ललितेश पति त्रिपाठी हार गए थे।
भूतपूर्व सीएम, रेल मंत्री कमलापति त्रिपाठी की चौथी पीढ़ी ललितेश पति त्रिपाठी को औरंगाबाद हाउस का मुख्य चेहरा माना जाता है। वाराणसी स्थित औरंगाबाद हाउस में एक समय यूपी, बिहार और दिल्ली तक के नेताओं का जमावड़ा लगा रहता था। पंडित कमला पति त्रिपाठी 1973, 1978, 1980, 1985 और 1986 में कांग्रेस की ओर से राज्यसभा के सांसद भी बने। ललितेश के दादा लोकपति त्रिपाठी ने मझवां से विधायक रहे। वहीं उनके पिता राजेश पति त्रिपाठी विधानसभा और लोकसभा का चुनाव नहीं जीत सके लेकिन वो एमएलसी जरूर रहे।
ब्राम्हण मतदाताओं को साधने का प्रयास
बहुचर्चित भदोही की सीट से टीएमसी प्रत्याशी ललितेश पति त्रिपाठी के नाम की घोषणा के बाद राजनीतिक गलियारों में चुनावी चर्चा तेज हो गई है। इंडी गठबंधन ने प्रत्याशी ललितेश को उतार ब्राम्हण वोटरों को साधने का प्रयास किया गया है। पांच विधानसभाओं की भदोही लोकसभा में करीब तीन लाख ब्राम्हण वोटर हैं।
सपा की गढ़ मानी जाने वाली सीट पर टीएमसी को मिलने के बाद कई लोग इसे राजनीतिक गलती मान रहे थे, लेकिन टीएमसी से ललितेश के नाम की घोषणा के बाद राजनीतिक विश्लेषण इसे मास्टर स्ट्रोक मान रहे हैं। ललितेश त्रिपाठी का परिवार चार पीढ़ियों से राजनीति में हैं और उनके परिवार का पूर्वांचल में अच्छा प्रभाव माना जाता रहा है।
ललितेश को पूर्वांचल में कांग्रेस के ब्राह्मण चेहरे के तौर पर भी देखा जाता था। माना जा रहा है कि ब्राह्मण वोटरों को साधने के लिए यह कदम उठाया गया है। भदोही सीट पर ब्राम्हण वोटरों की महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कालीन नगरी के नाम पूरी दुनिया में मशहूर भदोही लोकसभा सीट में कुछ पांच विधानसभाएं हैं। जिसमें भदोही, प्रतापपुर और हंडिया विस की सीट पर सपा का कब्जा है। ऐसे में इंडी गठबंधन से ललितेश के नाम की घोषणा के बाद अब सबकी नजरें भाजपा प्रत्याशी के नाम पर टिक गई हैं।