Sunday, October 6, 2024
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दोस्‍त के कितने भी करीब क्यों न हों, सिद्धांतों को नहीं छोड़ सकते; CAA पर बोने अमेरिकी राजदूत

Eric Garcetti's Nomination As Ambassador To India Clears Senate Panel

नई दिल्‍ली । भारत (India)में नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 (Citizenship Amendment Act) को लेकर अमेरिका (America)ने कड़ा विरोध दर्ज कराया है। इस बीच भारत में अमेरिकी राजदूत (US Ambassador)एरिक गार्सेटी ने भी शुक्रवार को कहा कि उनका देश अपने “सिद्धांतों को नहीं छोड़ सकता” है। एरिक गार्सेटी (Eric Garcetti)ने कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता और समानता का सिद्धांत लोकतंत्र की आधारशिला है। उनका बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका ने बृहस्पतिवार को कहा था कि वह भारत में सीएए को लागू किए जाने को लेकर चिंतित है और इसके क्रियान्वयन पर निकटता से नजर रख रहा है।

आप अपने सिद्धांतों के लिए हमेशा खड़े होते हैं

भारत में अमेरिकी राजदूत ने कहा कि संबंध चाहे जितने करीबी हों लेकिन सिद्धातों को नहीं छोड़ा जा सकता। उन्होंने कहा, “लेकिन आप अपने सिद्धांतों को नहीं छोड़ सकते, चाहे आप दोस्तों के कितने भी करीब क्यों न हों। या चाहे आपका सबसे बड़ा दुश्मन ही क्यों न हो आप अपने सिद्धांतों के लिए हमेशा खड़े होते हैं।

सीएए पर अमेरिकी विदेश विभाग ने दिया था बयान

गार्सेटी ने आगे कहा, “हमारा लोकतंत्र परफेक्ट नहीं है। इसलिए हम आपको भी ऐसा करने (सिद्धातों के लिए खड़े होने) के लिए आमंत्रित करते हैं। यह एकतरफा रास्ता नहीं है।” एरिक गार्सेटी की टिप्पणी उस दिन आई है जब विदेश मंत्रालय ने सीएए पर अमेरिकी विदेश विभाग के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जो लोग भारत की बहुलवादी परंपराओं को नहीं समझते हैं, उनके लिए बेहतर होगा कि वे ज्ञान देने का प्रयास न करें।

इससे पहले अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘हम 11 मार्च को जारी की गई नागरिकता (संशोधन) अधिनियम की अधिसूचना को लेकर चिंतित हैं।’’ मिलर ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘हम इस बात पर निकटता से नजर रख रहे हैं कि इस अधिनियम को कैसे लागू किया जाएगा। धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान और सभी समुदायों के साथ कानून के तहत समान व्यवहार मौलिक लोकतांत्रिक सिद्धांत हैं।

भारत ने बयान को अनुचित बताकर खारिख कर दिया

हालांकि भारत ने सीएए को लेकर अमेरिका के विदेश विभाग के बयान को अपूर्ण जानकारी पर आधारित गलत एवं अनुचित बताते हुए इसे खारिज कर दिया और कहा कि यह कानून भारत की समावेशी परंपराओं एवं मानवाधिकारों के प्रति उसकी दीर्घकालिक प्रतिबद्धताओं पर आधारित है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने आज यहां नियमित ब्रीफिंग में इस बारे में एक सवाल के जवाब में कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 (सीएए) भारत का आंतरिक मामला है और यह कानून भारत की समावेशी परंपराओं और मानवाधिकारों के प्रति हमारी दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है।

भारत सरकार ने सोमवार को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 लागू किया, जिससे 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने का मार्ग प्रशस्त हो गया। सरकार ने यह भी कहा है कि सीएए पर भारतीय मुसलमानों को किसी तरह की चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि इस कानून का भारतीय मुसलमानों से कोई लेना-देना नहीं है और उनके पास अपने समकक्ष हिंदू भारतीय नागरिकों के समान अधिकार हैं। भारत सरकार ने कहा है कि सीएए का मकसद नागरिकता देना है और इसकी वजह से देश का कोई नागरिक अपनी नागरिकता नहीं खोएगा।

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