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किसानों के चेहरे पर लौटी रंगत, सब्जियों के सरताज ‘आलू’ पर चढ़ा महंगाई का रंग

नई दिल्ली। सब्जियों के सरताज ‘आलू’ पर फागुन के महीने में महंगाई का जमकर रंग चढ़ रहा है। दिन प्रतिदिन मंडियों में आलू के भाव चमक रहे हैं। तीन साल से आलू के घाटे से कराह रहे किसानों के चेहरे पर खुशी लौटी है। जानकारों का कहना है कि इस साल उत्पादन में भारी गिरावट दर्ज हुई। मौसम के बदले मिजाज ने उत्पादन में 30 से 35 फीसदी की गिरावट है। यही कारण है कि आलू की खेतों से 1,600 रुपये कुंतल की सौदेबाजी हो रही है। यूपी के आगरा सहित कई जिलों में अभी में 50 फीसदी आलू की खुदाई बाकी है।

देशभर के आलू उत्पादन में आगरा 27 फीसदी का अहम योगदान निभाता है। विदेशों में भी आगरा के आलू की एक अलग पहचान हैं। किसानों ने इस साल 75 हजार हेक्टेयर में आलू उत्पादन किया है। उद्यान विभाग के मुताबिक जनपद में 50 फीसदी आलू की खुदाई हो गई है। 30 से 35 फीसदी जनपद के 270 शीतगृह में आलू भंडारित हो चुका है। कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ। आरएस चौहान बताते हैं कि जनवरी के महीने में 15 दिन कोल्ड-डे-कंडीशन के बीते थे। इस मौसम में आलू झुलसा रोग की चपेट में आ गया था। इससे आलू की वृद्धि भी रुक गई थी। इसके कारण आलू के उत्पादन में 30 से 35 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। प्रगतिशील किसान युवराज परिहार बताते हैं कि बीते तीन सालों से आलू की बेकदरी थी। किसानों की लागत तक नहीं निकली थी। इस साल शुरुआत से ही आलू के भाव चढ़े हुए हैं। 1,200 से 1,600 रुपये कुंतल की खरीदारी खेतों से हो रही है। अभी खेतों में खुदाई जारी है। होली के बाद आलू की स्थिति स्पष्ट होगी।

तीन साल से आलू की खेती किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रही थी। इस बार आलू किसान के चेहरे पर खुशी लौटी है। किसान उम्मीद जता रहा है कि कम उत्पादन के बाद भी उसके लिए आलू की फसल घाटे का सौदा नहीं रहेगी। हालांकि फसल के दौरान मौसम बिगड़ने पर किसानों के माथे पर चिंता की लकीर आती रही पर अंत में कम उत्पादन होने से ही उन्हें अच्छे दाम मिल रहे हैं। बीता वर्ष उत्पादन अच्छा हुआ था फिर भी किसान घाटे में रहा था।

लगातार निगरानी कर रहा है विभाग
उपनिदेशक उद्यान विभाग धर्मपाल सिंह यादव ने बताया कि जनपद में आलू की खुदाई 50 फीसदी तक हो गई है। शीतगृहों में 30 से 35 फीसदी तक भंडारण हो गया है। अभी आलू खुदकर शीतगृह पहुंच रहा है। उन्होंने बताया कि आगरा में आसपास के बॉर्डर वाले जनपदों से आलू भी शीतगृहों में भंडारण के लिए आता है। पिछले साल से उत्पादन में गिरावट है। लेकिन, शीतगृह स्वामियों को चिंतित होने की आवश्यकता नहीं हैं।

व्यापारियों से आलू किसानों ने बनाई दूरी
आलू पर चढ़ती महंगाई को देखते हुए किसान भी सजग हैं। वे खेतों से आलू की सौदेबाजी भी नगद कर रहे हैं। उन्होंने इस साल शीतगृहों से लोन भी न मात्र लिया है। ऐसे में वे अपने आलू के स्वयं मालिक हैं। नकद धनराशि में आलू की खरीद फरोख्त हो रही है। वहीं, मंडी के अधिकारियों का कहना हैं कि आगरा से बड़ी मात्रा में बाहरी मंडियों में भी आलू जा रहा है। कुछ किसान हर साल की भांति इस साल भी अपना आलू एक्सपोर्ट करेंगे।

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