Friday, September 13, 2024
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चार महीने के बाद 32365 करोड़ खर्च करके एफपीआई ने बनाया रिकॉर्ड

नई दिल्‍ली. चार महीने के बाद विदेशी निवेशकों ने भारत के शेयर बाजार पर सबसे ज्यादा प्यार लुटाया है. इस साल में दूसरा ऐसा मौका है, जब विदेशी निवेशकों ने किसी महीने में 30 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का निवेश किया है. मार्च में विदेशी निवेशकों ने 35 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का निवेश किया था. जबकि बॉन्ड मार्केट में निवेश 13,600 करोड़ रुपए से ज्यादा का था. जुलाई में विदेशी निवेशकों ने 32,300 करोड़ रुपए से ज्यादा का निवेश किया है. वहीं बॉन्ड मार्केट में निवेश का आंकड़ा 22,300 रुपए से ज्यादा का है. एफपीआई ने जुलाई में भारतीय शेयर बाजारों में शुद्ध रूप से 32,365 करोड़ रुपए का निवेश किया है. इस महीने के पहले दो कारोबारी सत्रों (1-2 अगस्त) को एफपीआई ने शेयरों से 1,027 करोड़ रुपए निकाले हैं.

नीतिगत सुधार जारी रहने की उम्मीद, सतत आर्थिक वृद्धि तथा कंपनियों के उम्मीद से बेहतर तिमाही नतीजों की वजह से एफपीआई ने जुलाई में भारतीय शेयर बाजारों में शुद्ध रूप से 32,365 करोड़ रुपए का निवेश किया है. हालांकि, इस महीने के पहले दो कारोबारी सत्रों (1-2 अगस्त) को एफपीआई ने शेयरों से 1,027 करोड़ रुपए निकाले हैं. बजट में इक्विटी निवेश पर पूंजीगत लाभ कर में बढ़ोतरी की घोषणा के बाद से एफपीआई प्रवाह में मिला-जुला रुख देखने को मिला है. डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने जुलाई में शुद्ध रूप से शेयरों में 32,365 करोड़ रुपये डाले हैं. इससे पहले जून में राजनीतिक स्थिरता और बाजारों में तेज उछाल के बीच एफपीआई ने शेयरों में 26,565 करोड़ रुपये का निवेश किया था. एफपीआई ने चुनाव नतीजों को लेकर असमंजस के बीच मई में शेयरों से 25,586 करोड़ रुपये निकाले थे.

मॉरीशस के साथ भारत की कर संधि में बदलाव और अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में निरंतर वृद्धि की चिंता के बीच अप्रैल में उन्होंने शेयरों से 8,700 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की थी. आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने जुलाई में शेयरों के अलावा ऋण या बॉन्ड बाजार में 22,363 करोड़ रुपये का निवेश किया है. इससे इस साल अबतक बॉन्ड बाजार में उनका निवेश बढ़कर 94,628 करोड़ रुपये हो गया है.

जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार ने कहा कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था और बाजारों से जुड़े घटनाक्रम अगस्त में एफपीआई की गतिविधियों का रुख तय करेंगे. डेजर्व के को-फाउंडर वैभव पोरवाल ने कहा कि इकोनॉमी में सुस्ती तथा कमजोर रोजगार के आंकड़ों के बाद यह निश्चित है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा सितंबर में ब्याज दरों में कटौती हो सकती है. महत्वपूर्ण सवाल यह है कि कटौती कितनी होगी. अभी तक यह अनुमान लगाया जा रहा है कि ब्याज दरों में 0.50 प्रतिशत की कटौती संभव है.

मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के एसोसिएट निदेशक प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि एफपीआई का प्रवाह बढ़ने की वजह सरकार द्वारा बुनियादी ढांचा विकास पर ध्यान देना, उम्मीद से बेहतर तिमाही नतीजे और सतत आर्थिक वृद्धि है. उन्होंने कहा कि इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर का अनुमान बढ़ा दिया है. वहीं चीन के वृद्धि दर के अनुमान में कमी की गई है. यह भी भारत के पक्ष में गया है.

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