नई दिल्ली। इलेक्ट्रिक परिवहन प्रोत्साहन योजना (ईएमपीएस) को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने दो महीने के लिए बढ़ा दिया है। सरकार ने कुल खर्च को भी बढ़ाकर 778 करोड़ रुपये कर दिया है। योजना को इस साल मार्च में भारी उद्योग मंत्रालय ने शुरू किया था। इसका मकसद देश में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के इस्तेमाल को बढ़ावा देना है। बता दें कि ईएमपीएस योजना मूल रूप से एक अप्रैल से 31 जुलाई तक चलने वाली थी, जिसका खर्च 500 करोड़ रुपये था। अब सरकार ने योजना के दायरे को बढ़ा दिया है।
योजना के तहत पात्र इलेक्ट्रिक वाहनों की कैटेगरी में रजिस्टर्ड ई-रिक्शा एवं ई-कार्ट सहित इलेक्ट्रिक दोपहिया और तिपहिया वाहन शामिल हैं। आम लोगों के लिए किफायती और पर्यावरण-अनुकूल सार्वजनिक परिवहन विकल्प मुहैया कराने पर जोर देने के साथ यह योजना मुख्य रूप से उन ई-दोपहिया और ई-तिपहिया पर लागू होगी जो कॉमर्शियल जरूरतों के लिए रजिस्टर्ड हैं। इसके अलावा निजी या कॉरपोरेट स्वामित्व वाले रजिस्टर्ड ई-दोपहिया भी योजना के तहत पात्र होंगे।
योजना का लक्ष्य अब 5,60,789 इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को सहायता प्रदान करना है, जिसमें 500,080 इलेक्ट्रिक दोपहिया (ई-2डब्ल्यू) और 60,709 इलेक्ट्रिक तिपहिया (ई-3डब्ल्यू) शामिल हैं। इसमें 13,590 रिक्शा और ई-कार्ट, साथ ही एल5 श्रेणी में 47,119 ई-3डब्ल्यू शामिल हैं। उन्नत प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन केवल अपग्रेड बैटरी से सुसज्जित इलेक्ट्रिक वाहन के लिए उपलब्ध होंगे। यह योजना फंड सीमित है।
यह योजना देश में एक कुशल, प्रतिस्पर्धी और सुगम इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण उद्योग को प्रोत्साहन देती है, जिससे प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को बढ़ावा मिलता है। इस उद्देश्य के लिए, चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम (पीएमपी) को अपनाया गया है जो घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहित करता इलेक्ट्रिक वाहन की आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करता है। इससे मूल्य श्रृंखला के साथ-साथ महत्वपूर्ण रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।