नई दिल्ली। सरकारी या निजी क्षेत्र में नौकरियां हों या फिर स्वरोजगार इसमें लगातार बदलाव होने के बाद भी लगता है कि कुछ हो नहीं रहा है। जानिए देश में पिछले कुछ वर्षों से कारोबारियों की संख्या में जबरदस्त तेजी दिख रही है। खास बात यह है कि स्वरोजगार करने वालों की संख्या सात साल में बढ़कर दोगुनी हो गई है। 2016-17 में स्वरोजगार करने वालों की संख्या 3.61 करोड़ थी, जो 2023-24 में 7.06 करोड़ के स्तर पर पहुंच गई। यह बता रहे हैं सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी (सीएमआईई) के आंकड़े।
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी (सीएमआईई) के मुताबिक 2016-17 में हर 100 कार्यरत व्यक्ति में से 13 लोग कारोबारी थे। 2023-24 में यह संख्या बढ़कर 20 पहुंच गई है। 2023-24 में कुल 42.36 करोड़ लोगों के पास काम था। इसमें से 8.66 करोड़ कारोबारी थे। आंकड़ों के मुताबिक, व्यावसायिक संरचना सात साल पहले की तुलना में अब बिल्कुल अलग है। 2016-17 में छोटे व्यापारियों और दिहाड़ी मजदूरों की कुल कार्यबल में 42.4 फीसदी हिस्सेदारी थी। किसानों और वेतनभोगी कर्मचारियों का हिस्सा क्रमशः 21 फीसदी और 23 फीसदी था। व्यावसायिक व्यक्तियों की संख्या कुल रोजगार में सिर्फ 13 फीसदी थी।
रिपोर्ट के अनुसार 2023-24 में कुल कार्यबल में कारोबारी व्यक्तियों की हिस्सेदारी बढ़कर 20.4 फीसदी पर पहुंच गई है। छोटे कारोबारियों व दिहाड़ी मजदूरों का हिस्सा घटकर 30% के नीचे आ गया है। वेतनभोगी कर्मचारियों की संख्या में भी गिरावट आई। इनकी हिस्सेदारी 2023-24 में 21.8 फीसदी थी जो कोरोना महामारी के पहले के स्तर को पार कर गई है। 2023-24 में कुल रोजगार में किसानों का अनुपात बढ़कर करीब 28 फीसदी हो गया। यह 2016-17 में 23 फीसदी था। सीएमआईई ने इस आंकड़े को तीन वर्गों में विभाजित किया है। इसमें कारोबारी, स्व-रोजगार और स्व-रोजगार उद्यमी शामिल हैं।
सात वर्षों में व्यवसायियों का अनुपात काफी हद तक गिरकर 2023-24 में 16.7 फीसदी रह गया। दूसरी ओर, स्व-रोजगार उद्यमियों की हिस्सेदारी बढ़कर 81.5% पहुंच गई। व्यावसायिक व्यक्तियों के रूप में नौकरियों की बड़े पैमाने पर वृद्धि स्व-रोजगार उद्यमियों के बीच केंद्रित है। इसके उलट, बेहतर गुणवत्ता वाली नौकरियों जैसे व्यावसायियों व योग्य स्वरोजगार पेशेवरों में रोजगार सुस्त रहा है।