बिज़नेस

पानीपत के हैंडलूम निर्यात में 50 फीसदी की गिरावट, 16 हजार करोड़ पर आया कारोबार

पानीपत । विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक हैंडलूम नगरी पानीपत का हैंडलूम निर्यात उद्योग जहां चार वर्ष से मंदी की मार झेल रहा है, वहीं अब इस उद्योग को सरकारी प्रोत्साहन की दरकार है। यह उद्योग इस समय अंतिम सांसें ले रहा है। पानीपत से यूरोप के करीब 20 देशों में हैंडलूम के सामान का निर्यात होता है, जिसमें मुख्य रूप से होम टेक्सटाइल, होम डेकोर के अंतर्गत आने वाले सामान जैसे- कारपेट, दरी, बाथ मैट, कार्टन, कुशन, बेड कवर, किचन टेक्सटाइल, कंबल, थ्रीडी बेडशीट सहित अनेक समान यूके, यूएस, हंगरी, तुर्की, इटली, फ्रांस, रूस, यूक्रेन, स्विटजरलैंड, स्पेन, स्वीडन, पोलैंड, रोमानिया पुर्तगाल, यूनान, डेनमार्क, साइप्रस, बेल्जियम, बुलगारिया, फिनलैंड सहित अन्य देशों को भी निर्यात होता है।

वर्ष 2020 में लॉकडाउन से पहले पानीपत का निर्यात करीब 32 हजार करोड़ रुपये था जो लॉकडाउन के बाद घटकर 20 हजार करोड़ पर आ गया। रही सही कसर रूस-यूक्रेन और इज़राइल- हमास की लड़ाई ने पूरी कर दी। वर्तमान में पानीपत का निर्यात घटकर सिर्फ 16 हजार करोड़ पर सिमट गया है, जो निर्यातकों की चिंता का विषय है।

चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज पानीपत के अध्यक्ष विनोद धमीजा के मुताबिक पानीपत से सरकार को जीएसटी के द्वारा तीन हजार करोड़ रुपये से अधिक टैक्स के रूप में जाता है। इनकम टैक्स अलग जाता है, बावजूद इसके पानीपत के उद्योग को सुविधा के नाम पर सिर्फ ठेंगा मिलता है। जब से पानीपत इंडस्ट्री को सरकार ने एनसीआर में लिया है तब से दिल्ली के कड़े कानून लागू कर दिए हैं। अब किसी भी फैक्टरी से निकलने वाले काले व पीले धुंए पर एक तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया और अब डीजल के उपयोग पर प्रतिबंध लगाकर छोटे उद्यमों की तो कमर ही तोड़ दी है, दिल्ली के कानून तो लागू कर दिए लेकिन राजधानी की सुविधाएं नहीं मिल रहीं हैं। क्योंकि बिजली जाने पर जनरेटर चलाना पड़ता और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सख्त निर्देश हैं कि कोई भी जनरेटर बिना ड्यूल फ्यूल किट लगाए नहीं चलना चाहिए, जबकि ड्यूल फ्यूल किट लगाने का खर्च जनरेटर की कुल लागत का 70% का खर्चा आता है। ऐसे में छोटा उद्यमी कहां से ड्यूल फ्यूल किट लगाएगा, क्योंकि बिजली के मुकाबले जनरेटर की बिजली महंगी पड़ती है।

औद्योगिक क्षेत्र में सुविधा के नाम पर सड़कें टूटी, पानी की निकासी का कोई इंतजाम नहीं, बिजली पूरी नहीं मिलती जो छोटे उद्यमियों ने जो अन ऑथराइज्ड छेत्र में फैक्टरी लगाई हुई है जिसको सरकार ने पॉवर कनेक्शन, जीएसटी नंबर, पानी कनेक्शन, बिजली कनेक्शन दे रखा है और नगर निगम हाऊस टैक्स भी वसूलता है उसी फैक्टरी को नो ड्यूज सर्टिफिकेट नहीं मिलता। धमीजा ने सरकार से मांग की है कि अगर पानीपत उद्योग को बचाना है और ऐतिहासिक नगरी पानीपत को विश्व के मानचित्र पटल पर चमकाना है तो कुछ राहत देकर पानीपत उद्योग को राजधानी क्षेत्र दिल्ली से बाहर रखा जाए।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button