नई दिल्ली। दिल्ली शराब नीति घोटाला मामले में जेल में बंद दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट ने त्वरित राहत देने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में ईडी को नोटिस जारी कर 24 अप्रैल तक जवाब देने का निर्देश दिया है। अदालत अब केजरीवाल मामले पर 29 अप्रैल को सुनवाई करेगी। सुप्रीम कोर्ट में अरविंद केजरीवाल की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दावा किया था कि केजरीवाल को लोकसभा चुनाव में प्रचार से रोकने के लिए गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने मामले की अगली सुनवाई जल्दी करने की मांग की। इस पर कोर्ट ने कहा कि सुनवाई 29 अप्रैल से पहले नहीं की जा सकती।
बता दें, दिल्ली शराब नीति घोटाला मामला 2021-22 के लिए दिल्ली सरकार की आबकारी नीति तैयार करने और क्रियान्वित करने में कथित भ्रष्टाचार एवं धनशोधन से संबंधित है। संबंधित नीति को बाद में रद्द कर दिया गया था। धन शोधन रोधी एजेंसी की दंडात्मक कार्रवाई से सुरक्षा देने से उच्च न्यायालय के इनकार के कुछ ही घंटे बाद प्रवर्तन निदेशालय ने केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार कर लिया था। वह फिलहाल 15 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल में हैं। अब उन्हें अगली सुनवाई तक जेल में ही रहना होगा।
केजरीवाल के वकील ने सुप्रीम कोर्ट से मामले को सुनवाई के लिए 19 अप्रैल को ही सूचीबद्ध करने की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया और मामले को सुनवाई के लिए 29 अप्रैल को सूचीबद्ध किया है। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई करेगी। मालूम हो कि केजरीवाल ने शराब नीति घोटाले में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया था, लेकिन हाईकोर्ट से उन्हें राहत नहीं मिली थी, जिसके बाद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
लोकसभा चुनाव से पहले केजरीवाल को झटका देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने उनकी उस याचिका को खारिज करते हुए राहत देने से इनकार कर दिया था। केजरीवाल ने आबकारी नीति से जुड़े धनशोधन मामले में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी थी। अदालत ने कहा था कि बार-बार समन भेजने के बावजूद केजरीवाल के प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समक्ष पेश नहीं होने और जांच में शामिल नहीं होने से जांच एजेंसी के पास कोई खास विकल्प नहीं बचा था।
उच्च न्यायालय ने दिल्ली सीएम की याचिका खारिज करते समय निदेशालय के इस दावे का भी हवाला दिया था कि केजरीवाल अपराध से हुई आय के उपयोग और उसे छिपाने में सक्रिय रूप से शामिल थे। दिल्ली उच्च न्यायालय ने केजरीवाल की याचिका खारिज करते हुए कहा था कि आम और खास व्यक्ति के खिलाफ जांच अलग-अलग नहीं हो सकती।