Monday, November 25, 2024
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चंद्रमा के सफल मिशन से चुका अमेरिका, मून पर लैंडिंग के बाद पलट गया चंद्रयान, लेकिन बनाया अनोखा रिकॉर्ड

एक निजी अमरीकी कंपनी ने चंद्रमा पर स्पेस क्राफ्ट उतारा - Naqeeb News

नई दिल्‍ली । अमेरिका की एक निजी कंपनी ने चंद्रमा पर यान उतारकर इतिहास रचा है। यह पहला मौका है जब कोई निजी कंपनी का यान चंद्रमा पर उतरा हो। हालांकि यह अंतरिक्ष यान चंद्रमा की सतह पर उतरने के बाद पलट गया। इससे चिंता व्याप्त हो गई। लेकिन राहत की बात यह है कि पलटने के बावजूद वह आंकड़े दे रहा है। जानिए चंद्रयान को सतह पर उतरने के बाद क्या क्या आईं परेशानियां।

इस निजी अमेरिकन अं​तरिक्ष यान का नाम ओडीसियस है। यह नाटकीय लैंडिंग के बाद चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरा। लेकिन चंद्रमा की सतह पर उतरने के दौरान यह यान पलट गया और चंद्रमा की सतह पर पड़ा हुआ है। शुक्रवार को कंपनी ने कहा कि ग्राउंड कंट्रोलर रोबोट डेटा और सतह की तस्वीरें डाउनलोड करने का काम कर रहा है।

चंद्रमा पर कब उतरा​ विमान

गौरतलब है कि ओडीसियस अंतरिक्ष यान गुरुवार शाम 6:23 बजे पूर्वी समय (2323 GMT) पर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरा था। इस दौरान वैज्ञानिकों की टीमों को एक बैकअप पर काम करना पड़ा था और रेडियो संपर्क स्थापित करने में कई मिनट लग गए थे।

कुछ तकनीकी दिक्कतें आई थी: अल्टेमस

चंद्रमा पर पहली बार लैंडिंग कराने वाली निजी कंपनी इंटुएटिव मशीन्स ने शुरू में सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था कि उसका हेक्सागोनल अंतरिक्ष यान सीधा खड़ा था, लेकिन सीईओ स्टीव अल्टेमस ने शुक्रवार को पत्रकारों से कहा कि यह बयान गलत व्याख्या किए गए डेटा पर आधारित था। अल्तेमस ने कहा कि बोर्ड पर विज्ञान प्रयोगों से डेटा डाउनलोड करने की टीम की क्षमता नीचे की ओर लगे एंटेना के कारण बाधित हो रही थी, जो पृथ्वी पर वापस आने के लिए अनुपयोगी हैं।

निजी कंपनी की बड़ी सफलता

गौरतलब है कि ओडीसियस को अभी भी विज्ञान प्रयोगों को अंजाम देने के लिए डिजाइन किए गए नासा वित्त पोषित मून लैंडर्स के एक नए बेड़े के लिए पहली सफलता माना जाता है ,जो आर्टेमिस कार्यक्रम के तहत चंद्रमा से अमेरिकी अंतरिक्ष यात्रियों की वापसी का रास्ता साफ करेगा। पिछले महीने एक अन्य अमेरिकी कंपनी द्वारा किया गया मून मिशन विफलता रहा। इस मिशन ने यह दिखा दिया है कि निजी कंपनियों के पास 1972 में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा अपोलो 17 मिशन के दौरान हासिल की गई उपलब्धि को दोहराने की क्षमता है।

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