नई दिल्ली । इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इंक्लूसिव अलायंस मतलब INDI अलायंस, जिसकी नींव बिहार की राजधानी पटना से रखी गई थी। वहीं से इस गठबंधन के बिखरने की कहानी शुरू हो गई है।
नीतीश कुमार ने INDI गठबंधन को एकजुट किया था और आज खुद दूसरे साथियों से परेशान होकर वहां से NDA में वापस लौट आए हैं। नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने INDI अलायंस छोड़ने के साथ-साथ अपनी मजबूरियों और दूसरे दलों की जालसाजों की पोल खोली है। जदयू के नेता केसी त्यागी बताते हैं कि कांग्रेस पूरे INDI गठबंधन को हड़पने की कोशिश कर रही थी।
JDU बोली- खड़गे के नाम का ऐलान साजिश
केसी त्यागी कहते हैं, ‘कांग्रेस का एक भाग INDI गठबंधन के नेतृत्व को हड़पना चाहता है। 19 दिसंबर को INDI गठबंधन की जो बैठक हुई थी, उसमें एक साजिश के तहत INDI गठबंधन का नेतृत्व करने के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम सुझाया गया। बैठक से पहले की शाम को जब ममता बनर्जी दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के आवास पर गई थीं, तो ममता ने कहा था कि बैठक में किसी का नाम प्रस्तावित नहीं होगा। मगर एक साजिश के तहत ममता की तरफ से खड़गे का नाम रखा।
सीट बंटवारे में देरी के लिए भी कांग्रेस जिम्मेदार
जदयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने सीट बंटवारे में देरी के लिए भी कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया। वो कहते हैं, ‘गैर कांग्रेसी दलों ने कांग्रेस पार्टी से लड़कर ही अपना स्थान बनाया। पिछले दो लोकसभा चुनावों में नेता प्रतिपक्ष के लायक भी उनके पास सांसद नहीं थे। इसलिए कांग्रेस क्षेत्रीय दलों को खत्म करना चाहती है, क्योंकि ये उनके विकास में रोड़ा है। एक सिस्टमेटिक तरीके से सीट बंटवारे की लड़ाई को लंबा खींचने का काम किया गया। मुंबई से और उससे पहले भी, ये लोग कहते रहे कि सीट बंटवारा जल्दी होना चाहिए।
दिल्ली की बैठक में क्या हुआ था?
केसी त्यागी उस बैठक की बात कर रहे थे, जो दिसंबर 2023 में देश की राजधानी दिल्ली में हुई थी। इसी बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी की नेता ममता ने खड़गे को INDI गठबंधन का संयोजक और प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाए जाने का प्रस्ताव रखा था। ममता के इस प्रस्ताव को दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और अखिलेश यादव जैसे नेताओं ने भी समर्थन दिया था।
हालांकि उसी समय खबरें आईं कि इसे नीतीश कुमार नाराज हो गए हैं। एक वजह ये भी कि बिहार में सहयोगी होते हुए भी राजद ने ममता के प्रस्ताव का विरोध नहीं किया था।
INDI गठबंधन में ठगे गए नीतीश!
सभी जानते हैं कि नीतीश कुमार की महत्वाकांक्षा 2024 के चुनावों में प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनने की रही। आरोप लगे कि नीतीश ने पीएम बनने के लिए ही 2022 में बीजेपी को छोड़ा था। गाहे-ब-गाहे कई मौकों पर जदयू के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इस मांग को रखा था।
पीएम उम्मीदवार नहीं तो गठबंधन का संयोजक भी नीतीश कुमार को नहीं बनाया जा सका। ये भी सभी जानते हैं कि नीतीश ने ही देशभर में घूम-घूमकर सभी को जुटाया और INDI गठबंधन के सूत्र में बांधा। गठबंधन के सूत्रधार होने के बावजूद नीतीश उसी गठबंधन के हाथों ठगे गए हैं।