नई दिल्ली। साइबर अपराध के बढ़ते मामलों को देखते हुए केंद्र सरकार लगातार बड़े कदम उठा रही है। सरकार ने साइबर अपराध और स्पैम कॉल पर लगाम लगाने के लिए दो नए प्लेटफार्म की शुरुआत की है। सोमवार को दूरसंचार विभाग ने संचार साथी पोर्टल के हिस्से रूप में डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म और चक्षु प्लेटफॉर्म को लॉन्च किया है। संचार साथी पोर्टल की शुरुआत मई 2023 में की गई थी।
क्या है चक्षु प्लेटफॉर्म?
केंद्र सरकार द्वारा लॉन्च किए गए चक्षु प्लेटफॉर्म के जरिए स्पैम मैसेज या कॉल्स, नंबर और फिशिंग पर रोक लगाने की कोशिश की जाएगी। वहीं डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफार्म के जरिए सरकार बैंकों में होने वाले साइबर अपराध, सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफॉर्म पर होने वाले साइबर क्राइम पर रोक लगाने की कोशिश कर रही है। दोनों प्लेटफॉर्म को लॉन्च करते हुए दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि इन पोर्टल के जरिए धोखाधड़ी पर रोक लगाने के साथ दोषियों को पकड़ने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि प्लेटफॉर्म की मदद से पहले ही 1,008 करोड़ रुपये की फ्रॉड पर रोक लगाने में सफलता मिली है।
चक्षु और DIP कैसे करेगा काम?
चक्षु और डीआईपी प्लेटफॉर्म के जरिए होने वाले साइबर अपराधों पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी। अगर कोई व्यक्ति साइबर अपराध के मंशा से किसी यूजर को कॉल, मैसेज करता है तो उसकी शिकायत चक्षु पोर्टल पर तुरंत की जा सकती है। वहीं वॉलेट, सोशल मीडिया या बैंक खाते में होने वाले साइबर अपराध को डीआईपी पर साझा किया जा सकता है। डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म से सरकार साइबर क्रिमिनल डाटा को साझा करने की प्रक्रिया को अधिक तेज बनाने की कोशिश कर रही है।
Keep an eye out for suspicious fraud communications related to bank accounts, SIM cards, and more. Report any concerning messages to #Chakshu for a safer digital experience. Visit https://t.co/ucurwdT8Cm#SancharSaathi pic.twitter.com/I2CqmVb9Su
— DoT India (@DoT_India) March 4, 2024
धोखाधड़ी रोकने में मिलेगी मदद-अश्विनी वैष्णव
दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दोनों पोर्टल के लॉन्च के मौके पर कहा कि चक्षु और डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म पिछले साल जारी हुए संचार साथी पोर्टल का हिस्सा है। उन्होंने दावा किया कि इस पोर्टल के जरिए दोनों साइबर अपराध का पता लगाने की गति में इजाफा होगा। इसके साथ ही इन दोनों पोर्टल के जरिए अंतरराष्ट्रीय कॉलों के जरिए होने वाले साइबर अपराध पर भी रोक लगाने में मदद मिली है।