नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। पीठ ने जीएन साईबाबा समेत पांच अन्य को माओवादी लिंक के एक कथित मामले में बरी कर दिया है। साथ ही हाईकोर्ट ने उनकी उस अपील को भी स्वीकार कर लिया है, जिसमें एक अदालत की तरफ से उन्हें दोषी ठहराया गया था और उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी।
पिछले साल सितंबर में सुरक्षित रखा था फैसला
न्यायमूर्ति विनय जी जोशी और न्यायमूर्ति वाल्मिकी एसए मेनेजेस की खंडपीठ ने इस मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। बता दें, सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद पिछले साल सितंबर में पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
यह है मामला
जीएन साईबाबा और उनके सह-आरोपियों को 2014 में माओवादी गुटों से जुड़े होने और भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। आरोपियों ने सजा के खिलाफ अपील दायर की थी। अब साईबाबा, हेम मिश्रा, महेश तिर्की, विजय तिर्की, नारायण सांगलिकर, प्रशांत राही और पांडु नरोटे (मृतक) को बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने बरी कर दिया।
बता दें, साईबाबा, महेश तिर्की, हेम मिश्रा और प्रशांत राही को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। जबकि विजय तिर्की को 2017 में एक विशेष अदालत ने 10 साल जेल की सजा सुनाई थी। विजय जमानत पर बाहर था, जबकि नरोटे की पिछले साल स्वाइन फ्लू से संक्रमित होने के बाद जेल में मौत हो गई थी।