-दिव्यांगता के क्षेत्र में मप्र के अच्छे कार्यों का दूसरे राज्य आज कर रहे अनुसरण
– दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन हुआ
भोपाल । मध्यप्रदेश सरकार नि:शक्तजन को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए कृत संकल्पित है। दिव्यांगजनों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए एक ऐसी सरल व्यवस्था राज्य में शुरू की है कि प्रदेश का कोई भी दिव्यांगजन अपनी समस्याओं के लिए उनसे सीधे संपर्क कर सकता है । अभी जिस तरह का कार्य दिव्यांगजनों के हित में पिछले दिनों मध्यप्रदेश में हुआ है यह उसी का असर है कि आज हमारा राज्य देश में दिव्यांगजन की देखरेख और सेवा करने के कार्य में प्रथम पंक्ति पर खड़ा हो सका है और स्वयं राष्ट्रपति महोदया हमारे राज्य को इस कार्य के लिए प्रथम पुरस्कार से सम्मानित कर रही हैं । उक्त बातें सामाजिक न्याय एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग, दिग्दर्शिका पुनर्वास एवं अनुसंधान संस्थान तथा सक्षम मध्य भारत संस्था के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन अवसर पर मंगलवार को सामाजिक न्याय एवं दिव्यांगजन कल्याण मंत्री नारायण सिंह कुशवाह ने कहीं । वे राजधानी भोपाल में देश भर से आए दिव्यांगजन के एक्सपर्ट, सामाजिक कार्यकर्ता और अनुसंधानकर्ताओं के बीच बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि दिव्यांयगता का क्षेत्र बहुत बड़ा है और अत्यधिक संवेदनशील है। इसके लिए जरूरी है कि पिछले दो दिनों से चल रही राष्ट्रीय संगोष्ठी की तरह समय-समय पर विविध विषयों पर कार्यशाला होते रहना चाहिए, ताकि समाज जीवन को हम दिव्यांगजनों के प्रति संवेदशील और जागरुक कर सकें। सामाजिक न्याय एवं दिव्यांगजन कल्याण मंत्री नारायण सिंह कुशवाह का कहना रहा कि कि राज्य में सामाजिक न्याय और दिव्यांग जन कल्याण विभाग के सभी मैदानी अमले को निर्देशित किया गया है कि दिव्यांगजनों की समस्याओं का समाधान त्वरित गति से किया जाए। साथ ही उनको मिलने वाली सभी योजनाओं का लाभ निर्धारित समय-सीमा में उपलब्ध कराया जाए।
मंत्री श्री कुशवाह ने इस संगेाष्ठी् में आये सुझावों पर बिन्दुवार मंथन किये जाने के लिए अपने अधिकारियों से कहा है । साथ ही उन्होंने उम्मीद की है कि सभी स्वयंसेवी संस्थाएं (एनजीओ) इस क्षेत्र में ईमानदारी से कार्य करेंगी। इसके साथ ही मंत्री कुशवाह ने अपने सभी अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि जो भी स्वयंसेवी संस्थाएं भारत सरकार और राज्य सरकार से अनुदान प्राप्त करने के बादभी दिव्यांगों के हित में ठीक तरह से कार्य नहीं कर रही हैं, उन सभी पर कठोर कार्रवाई करें।
इस अवसर पर आयुक्त सामाजिक न्याय आरआर भौंसले द्वारा बताया गया है के मेडिकल बोर्ड अपनी व्यावस्थाओं में कैसे सुधार करें ताकि दिव्यांगता प्रमाण-पत्र ब्लॉक स्तर तक सभी जरूरतमंदों को उपलब्ध कराए जा सकेंगे। इसके लिए उन्हें जो आज अनावश्यक रूप से जो भटकना पड़ता है, यह ठीक नहीं है, इसलिए हमें इस दिशा में अत्यधिक संवेदनशील हो जाने की आवश्यकता है । इसके साथ ही श्री भौंसले का सुझाव है कि दिव्यांयगजनों को स्वरोजगार के लिए प्रेरित कर आत्मनिर्भर बनाये जाने हेतु लोन प्रदाय किये जाने में गारंटर की अनिवार्यत: समाप्त किये जाने की आज व्यवस्था की जानी चाहिए, जिससे दिव्यांगजनों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाया जाना आसान होगा।
उन्होंने कहा कि प्रदेश के 56 विभागों में दिव्यांगजन के लिये आरक्षित 13 हजार पदों की भर्ती के लिये समयबद्ध कार्यक्रम सामान्य प्रशासन विभाग के साथ बनाया जा रहा है। कार्यशाला के दौरान पिछले दो दिवस में जो विचार मंथन के बाद अमृत निकला है, उसके निष्कर्षों पर विभाग अपनी कार्य योजना बनाएगा।
इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में आयुक्त नि:शक्तजन मध्याप्रदेश संदीप रजक ने अपनी बात रखते हुए बताया कि कैसे हम सहज और सरल रूप से दिव्यांगजनों की सहायता कर सकते हैं और उन्हें आगे बढाने में अपनी प्रभावी भूमिका निभा सकेंगे। उन्होंने छोटे-छोट उदाहरण देकर अपनी बात रखी। जिसमें कि उन्होंने आम व्यक्तियों द्वारा इस दिशा में किए जा रहे कार्यों के बारे में बताया । साथ ही शासन की योजनाओं का कैसे लाभ लिया जाए, कौन-कौन सी योजनाएं मप्र सरकार और केंद्र सरकार के संयुक्त तत्वावधान में एवं एकल रूप से संचालित हैं, यह बताया गया।
इनके अलावा सक्षम संस्था मध्याभारत के सचिव के.व्ही.एल.श्रीवास्तव ने सक्षम संस्था द्वारा दिव्यांगता के क्षेत्र में किये जा रहे कार्यों के बारे में विस्तार से बताया गया । जिसमें कि उनका कहना था कि आज सक्षम संस्था मप्र समेत देश के 400 जिलों में कार्यरत है। जो हर प्रकार की दिव्यांगता पर कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य अपने संस्थान के माध्यम से सिर्फ सरकारी सहायता स्तर पर भी कार्य करना नहीं है, बल्कि समाज जीवन में आम लोगों में दिव्यांगजनों के प्रति भाव संवेदना जागृत कर उन्हें भी अपने साथ जोड़ दिव्यांजनों के हित में कार्य करा लेना है।
इस अवसर पर दिग्दकर्शिका पुनर्वास अनुसंधान संस्थान भोपाल के संस्थापक सुमित रॉय का कहना रहा कि दिव्यांगजनों की सेवा करने का मुझे 35 वर्षों का अनुभव है। अनुभव के आधार पर दिव्यांगता के क्षेत्र में जुड़ने के लिए संचार सुविधा की जरूरत एवं उसकी रोजमर्रा में उसके व्यवहार की अत्यधिक आवश्यकता है। आज के समय में जितना हम संचार सुविधाओं एवं तकनीकि से अपने दिव्यांगजनों एवं उसके लिए कार्य करनेवालों को जोड़ेंगे, उतना ही वे इस क्षेत्र में श्रेष्ठ कार्य कर पाने में सक्षम होंगे। उन्होंने कहा कि दिव्यांगता के क्षेत्र में मप्र तथा भारत सरकार द्वारा बहुत अच्छा कार्य किया जा रहा है। यहां जो राज्य में हो रहा है निश्चित ही उन कार्यों का अनुसरण दूसरे राज्यों को भी करना चाहिए, इस दिशा में अच्छी बात यह भी है कि कुछ राज्य मप्र में हो रहे कार्यों का अनुसरण करते हुए दिखाई भी दे रहे हैं ।
(न्यूज एजेंसी/हि.स.)