नई दिल्ली । पूरा बंगाल संदेशखाली के मुद्दे पर सुलग रहा है. कोलकाता से लेकर दिल्ली तक सियासत भी जमकर हो रही है. बीजेपी और टीएमसी, दोनों तरफ से आरोप लग रहे हैं. वार-पलटवार हो रहे हैं. टीएमसी नेता शाहजहां शेख और उसके गुर्गों के खिलाफ महिलाओं पर जुल्म का आरोप है।
पीड़ितों के बयान भी सामने आए हैं, जिसे बीजेपी जोर शोर से उठा रही है. इस बीच अब संदेशखाली का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है. याचिका दाखिल कर बंगाल से बाहर सुनवाई की मांग की गई है।
सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच की अपील की गई है. मांग ये भी की गई है कि महिलाओं के आरोप की CBI, SIT जांच हो. देश के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने वकील अलख से कहा आप ईमेल करिए. इसके बाद अलख ने कहा ईमेल कर दिया है. मामले पर तत्काल सुनवाई की जरूरत है. इस पर सीजेआई ने कहा कि दोपहर में याचिका देखने के बाद सुनवाई की जाएगी।
ममता बनर्जी ने लगाए ये आरोप
वहीं, लोकसभा की प्रिविलेज कमेटी ने भी बंगाल के चीफ सेक्रेटरी और DGP को तलब किया है. संदेशखाली में महिलाओं के यौन उत्पीड़न और हिंसा के मुद्दे पर बीजेपी आक्रामक है, तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी अपने अंदाज में जवाब दे रही हैं. उनका कहना है कि मुझे इस पर कार्रवाई करने के लिए मामले को जानना होगा. वहां आरएसएस का आधार है. 7-8 साल पहले दंगे हुए, वो संवेदनशील दंगा इलाकों में एक है. हमने सरस्वती पूजा पूजा के दौरान स्थिति को मजबूती से संभाला अन्यथा वहां योजनाएं कुछ और ही थीं।
बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद का कहना है कि संदेशखाली पर ममता बनर्जी ने बहुत ही शर्मनाक बात कही है, जो महिलाएं टीम के साथ अपने खिलाफ यौन शोषण की बात कह रही थीं. उनको उन्होंने कहा कि ये महिलाएं मुंह खोल के क्यों नहीं कहती, नहीं तो मैं कार्रवाई करूंगी. ममता ने कहा संदेशखाली बर्नर है आरएसएस का. इसका क्या मतलब है. आप इतना भयानक कैसे बोल सकती हैं।
संदेशखाली मामले पर महिला आयोग ने उठाए सवाल
संदेशखाली हिंसा पर बीजेपी सांसद लॉकेट चटर्जी का कहना है कि जिन्होंने यह अत्याचार किया है उन्हें सामने आना होगा, एनआईए जांच होनी चाहिए. उन्हें मौत की सजा दी जानी चाहिए. हम सुकांत मजूमदार पर हमले की निंदा करते हैं. वहीं, राष्ट्रीय महिला आयोग का कहना है कि संदेशखाली में स्थानीय अधिकारियों की चुप्पी बहुत कुछ कहती है. हमल इस मामले की गहराई तक जाना चाहते है. संदेशखाली में महिलाओं के खिलाफ सबूत मिटाना और डराने-धमकाने की रणनीति अस्वीकार्य है. महिला आयोग पूरी जांच और अपराधियों पर मुकदमा चलाने की मांग करता है।