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CAA के विरोध में उतरे दक्षिण फिल्मों के ऐक्टर थलापति विजय, बोले- सीएए का लागू होना स्वीकार नहीं करेंगे

नई दिल्‍ली । मोदी सरकार ने तीन पड़ोसी देशों से आए शरणार्थियों को नागरिकता देने वाला कानून सीएए लागू कर दिया है। कानून के लागू होने पर जहां एक तरफ जश्न मनाया जा रहा है तो विरोधी दल मोदी सरकार को घेरने से नहीं चूक रहे हैं।

हाल ही में अपनी पार्टी लॉन्च कर राजनीति में उतरने वाले दक्षिण के ऐक्टर थलापति विजय ने केंद्र सरकार पर हमला बोला है। सोशल मीडिया पर बयान जारी कर विजय ने कहा, सीएए का लागू होना स्वीकार नहीं किया जा सकता।

2019 की तरह कोई भी कानून बर्दाश्त नहीं किया जाएगा

विजय ने कहा, देश में नागरिकत संसोधन कानून 2019 की तरह का कोई भी कानून बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। जबकि देश में सभी लोग मिलजुलकर भाईचारे के साथ रहने को तैयार हैं, तो ऐसे कानून की क्या जरूरत है। विजय ने तमिलनाडु सरकार से भी अपील की कि राज्य में इस कानून को लागू ना किया जाए। बता दें कि वजय के अलावा कई विपक्षी नेताओं ने इस समय सीएए लागू करने को लेकर सवाल उठाए हैं। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआीएम का कहा है कि चुनावी फायदा उठाने के लिए चुनाव से ठीक पहले मोदी सरकार यह स्टंट कर रही है। विरोधी दलों का कहना है कि चुनाव से पहले सीएए लागू करना ध्रुवीकरण का प्रयास है।

एमके स्टालिन ने इसे बंटवारे की राजनीति बताया

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने इसे बंटवारे की राजनीति बताया है। उन्होंने कहा, जनता भाजपा को पाठ पढ़ा देगी। आपको बता दें कि सीएए के विरोध में देश में कई जगहों पर प्रदर्शन भी शुरू हो गए हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी कहा है कि वह अपने राज्य में सीएए नहीं लागू होने देंगी।

अपने-अपने राज्यों में सीएए को नहीं लागू होने देंगे

ममता बनर्जी और केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजय ने कहा है कि वे अपने-अपने राज्यों में सीएए को नहीं लागू होने देंगे। विजयन ने कहा कि यह धर्म के आधार पर विभाजन पैदा करने वाला कानून है। इसे किसी भी कीमत पर लागू नहीं किया जा सकता। वहीं ममता बनर्जी ने कहा कि केंद्र सरकार अगर मजबूत होती तो पहले ही इस कानून को लागू कर देती। लोकसभा चुनाव के वक्त ही इसे आखिर क्यों लागू किया जा रहा है। इसे लागू करने में चार साल का व्कत् क्यों लग गया। वहीं क्या चुनाव से पहले ही इसे लागू करना जरूरी था। उन्होंने कहा कि यह पूरे पूर्वोत्तर के लिए संवेदनशील मामला है।

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