केशव भूमि नेटवर्क / पालघर : पालघर में बुधवार कों मनोनित नगरसेवक पद के लिए एकनाथ शिंदे और उद्भव ठाकरे गुट आपस मे भीड़ गए | इस पद कों लेकर दोनों गुटों में खीचतान इस कदर बढ़ गई की यह मामला पालघर के डीएम के पास पहुंच गया | दोनों गुटों में डीएम के सामने काफी क़ानूनी बहस हुई | इस पद पर एक तरफ उद्धव ठाकरे गुट अपने पक्ष के दो लोगो की नियुक्ति करना चाहता है, वही दूसरी तरफ एकनाथ शिंदे गुट के नेता अपने पक्ष के लोगों की नियुक्ति करना चाहते है।
वही इसके पहले इस नियुक्ति को लेकर करीब डेढ़ महीने पहले हुई राजनीतिक खींचतान ,दांवपेच के कारण यह नियुक्ति नही हो पायी थी। जिसके बाद यह मामला मुंबई हाईकोर्ट पहुंच गया था | मुंबई हाईकोर्ट के आदेश के बाद पालघर नगरपरिषद में मनोनीत पार्षदो के नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया था। कोर्ट ने तीन हफ्ते में यानी 13 जुलाई तक यह नियुक्ति करने का आदेश दिया है। जिसके बाद इन दो सीटों पर 13 जुलाई यानी आज दो मनोनीत पार्षदो की नियुक्ति लिए तारीख की घोषणा की गई है| इस पद के लिए उद्धव गुट की तरफ से सुनील महेन्द्रकर और मनोज घरत ने नामांकन दाखल किया है,वही दूसरी तरफ एकनाथ शिंदे गुट की तरफ से रईश खान और एडोकेट धर्मेंद्र भट्ट ने नामंकन दाखल किया है | पिछले चार साल से यह पद खाली पड़ा है , और अब आखिरी दौर में यह चयन होने जा रहा है |
पालघर नगर परिषद में शिवसेना (उद्धव गुट ) के गट नेता कैलास म्हात्रे कों गट नेता पद से हटाने का पत्र शिंदे गुट की शिवसेना के नेता संजय मोरे ने पालघर के डीएम कों दिया है | वही इस पत्र कों लेकर कैलास म्हात्रे और पुरानी शिवसेना के नगरसेवको का कहना है ,हम सब उद्धव ठाकरे के साथ है | हम सब लोगों ने मिलकर चार साल पहले कैलास म्हात्रे कों गट नेता चुना था | जिसे पालघर के डीएम ने मंजूरी दिया है | इस लिए इस पद से हटाने का संजय मोरे को कोई अधिकार नही है | यह अधिकार हम सब नगरसेवकों का है।
चार साल से खाली पड़ा है पद
बता दे की 2019 में हुए पालघर नगरपरिषद चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद शिवसेना कों 14 सीट पर , भाजपा कों 7 सीट पर ,एनसीपी कों 2 सीट पर और निर्दलियों कों 5 सीट पर जीत हासिल हुयी थी | इस जीत के मुताबिक शिवसेना के हिस्से में मनोनीत पार्षद के 2 सिट और भाजपा के हिस्से के एक सीट आई थी| चुनाव परिणाम आने के तुरंत बाद भाजपा नें इस सिट पर मनोनीत पार्षद के रूप में अरुण माने का चयन कर दिया था| लेकिन आपसी खीचतान के कारण शिवसेना पिछले चार सालों में इन दो पदों पर किसी का चयन नही कर पाई थी|वही होने वाले नवनिर्वाचित मनोनीत पार्षदो की बात करें तो उन्हें अब केवल 10 महीने का ही कार्यकाल मिलने वाला है | क्योंकि उसके बाद नगर परिषद चुनाव के पांच साल पूर्ण हो जायेंगे | मार्च 2024 में फिर से चुनाव होने वाला है |