संजय सिंह / पालघर: पालघर में मंगलवार ,14 अगस्त को पालघर हुतात्मा स्तंभ पर शहीदों के खून से सने तिरंगे झंडे को रख कर शहीदों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी गई । देश की आजादी के लिए 14 अगस्त 1942 को रामप्रसाद भीमाशंकर तिवारी , सुकुर गोविन्द मोरे , काशिनाथ हरी पागधरे , रामचन्द्र माधव चुरी और गोविन्द गणेश ठाकुर इन पांच जांबाज नौजवानों ने अपनी जान निछावर कर दिए थे। उनके खून से सने तिरंगे झंडे को, आज भी, 14 अगस्त को स्थानीय लोगों और नेताओं द्वारा सलामी दी जाती हैं।
स्वतंत्रता संग्राम की याद तो यू तो भुलाई नहीं जा सकती , लेकिन मुंबई के हुतात्मा चौक तरह ही मुंबई से करीब 100 किमी की दूरी पर पालघर शहर के बीच में स्थित पालघर का हुतात्मा चौक (पांच बत्ती) लोगों का ध्यान बराबर अपनी ओर खींच लाता है । बताया जाता है की 14 अगस्त 1942 को देश की आजादी को लेकर पालघर तहसीलदार कार्यालय पर ब्रिटिश शासन के खिलाफ सारे बंदोबस्त के बावजूद एक विशाल मोर्चा निकाला गया था । ब्रिटिश प्रशासन ने राम मंदिर के पास इस मोर्चे को रोकने के लिए बहुत प्रयास किया , लेकिन वह इस मोर्चे को रोकने में असफल रही । आख़िरकार पुलिस ने मोर्चे पर गोली चलाना शुरू कर दिया । इस गोलीबार में रामप्रसाद भीमशंकर तिवारी , सुकुर गोविन्द मोरे , काशीनाथ हरी पागधरे , रामचन्द्र माधव चुरी और गोविन्द गणेश ठाकुर नामक क्रन्तिकारी शहीद हो गए.
उस कहानी का मंजर आज भी सभी को याद हैं और इस शहादत को याद करते हुए हर साल 14 अगस्त को पालघर में स्तिथ हुतात्मा स्तंभ पर उनके खून से सने झंडे को रख कर पालघर जिला के नेताओं ,अधिकारियों ,व्यापारियों और शहीदों के परिजनों व स्थानीय लोगों द्वारा इन शहीदों को दोपहर 12.39 पर श्रद्धांजलि दी जाती हैं । पालघर के सभी व्यापारी इस दिन अपनी-अपनी दुकानें बंद रख कर, इस दिन को शहीद दिवस के रूप में मनाते है |
इस अवसर पर पालघर के पूर्व सांसद राजेंद्र गावित,विधायक श्रीनिवास वनगा,डीएम गोविंद बोडके,पालघर जिला परिषद अध्यक्ष प्रकाश निकम , एसपी बालासाहेब पाटिल और बड़ी संख्या में स्कुल के छात्र, छात्राओं समेत अन्य मान्यवर उपस्तिथ थे |