Friday, September 20, 2024
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Palghar – शिवसेना के MP राजेंद्र गावित को कोर्ट ने सुनाया जेल की सजा

केशव भूमि नेटवर्क / पालघर : पालघर कोर्ट ने आज पालघर लोकसभा सीट से शिवसेना के सांसद राजेंद्र गावित को एक साल की सजा के साथ 25 लाख का दंड लगाते हुए पौने दो करोड़ रूपये भरने का सजा सुनाया है. कोर्ट ने डेढ़ करोड़ के चेक बाउंस मामले पर दोनों पक्ष की दलील सुनने के बाद यह फैसला सुनाया है.

दर असल यह मामला कुछ इस प्रकार है

बाफना के वकील सुधीर गुप्ता नें जानकारी देते हुए बताया की 2014 में हुए विधानसभा चुनाव के दरमियान सांसद राजेंद्र गावित ने किर्ती बाफना के बेटे चिराग बाफना से एक करोड़ रूपये लिए थे .

 इसके बदले उन्हों ने बाफना को पालघर साईनगर के पास स्तिथ अपनी एक जमीन डेवलपमेंट के लिया दिया था. और उस जमीन का सेल परमिशन लाने की जिम्मेदारी खुद ली थी. क्यों की किसी भी आदिवासी समाज की जमीन को डेवलपमेंट करके बेचने के लिए कानून सेल परमिशन लेना अनिवार्य है.

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लेकिन काफ़ी समय बीत जाने के बाद जब गावित ने सेल परमिशन लाकर नही दिया. और जब इस सेल परमिशन के लिए बाफना नें डीएम पास आवेदन किया तो गावित ने एक पत्र देकर इसका विरोध किया.

उसके बाद खुद को ठगा हुवा महसूस करते हुए 2017 में बाफना नें पालघर कोर्ट का शरण लिया. कोर्ट में चल रहे इस मामले को लेकर दो साल बाद 2019 में गावित और बाफना के बीच कोर्ट में न्यायधीश के सामने इस मामले को लेकर ढाई करोड़ में समझौता हुवा.

क्योंकि इस दौरान बाफना ने कोर्ट में यह दलील दीया था, की गावित ने 6 साल तक एक करोड़ रूपये का उपयोग किया. उसके बदले हमारे बीच जमीन और सेल परमिशन देने की जो लिखा पढ़ी हुई थी, उन्हों नें वह नहीं दिया. अगर यह पैसा मैंने बैंक में जमा किया होता तो हमारा कितना फायदा हुवा होता. यह सारी बाते सुनने के बाद यह समझौता हुवा था. जिसके बाद गावित ने सात चेक दिया था. जिसमें से एक करोड़ का चेक गावित नें पास कर, बाकी चेक को बाउंस कर दिया. इन चेक पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है. हालांकि इस फैसले के बाद कोर्ट ने इस मामले में गावित को जमानत पर छोड़ दिया है.

ऊपरी अदालत में जायेंगे गावित

वही कोर्ट का फैसला आने के बाद सांसद राजेंद्र गावित का कहना है, कि हमने जो पैसे लिए थे, वह बाफना को वापस कर दिया है. जो पैसा बाकी है वह ब्याज का पैसा है. कोर्ट ने जो भी फैसला सुनाया है, वह ब्याज के पैसे पर सुनाया है. कोर्ट के इस आदेश को लेकर हम न्याय के लिए ऊपरी अदालत में जाएंगे.

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