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तालानगरी अलीगढ़ से 400 किलो का ताला पहुंचा अयोध्‍या, लगे जय श्रीराम के नारे, जानें खासियत

नई दिल्‍ली । अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है। प्राण प्रतिष्ठा से पहले पूरे देश से रामलला और मंदिर के लिए कई खास उपहार अयोध्या पहुंच रहे हैं। इस कड़ी में शनिवार को तालानगरी अलीगढ़ से रामनगरी में एक खास ताला पहुंचा। बताया जा रहा है कि यह ताला दुनिया के सबसे बड़ा ताला है।

अलीगढ़ में बनाए गए 400 किलोग्राम के ताले को शनिवार को अयोध्या लाया गया। इस क्रेन के मदद से ट्रक से नीचे लाया गया। खास ताले के अलीगढ़ से अयोध्या पहुंचने के बाद उत्साह में श्रद्धालुओं ने जय श्रीराम के नारे भी लगाए। अखिल भारतीय हिंदू महासभा की राष्ट्रीय सचिव डा अन्नपूर्णा भारती ताले को लेकर अयोध्या पहुंचे। इस ताले को श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट को सौंपा जाएगा।

6 महीने में बनकर तैयार हुआ ताला

बता दें कि इस खास ताले को अलीगढ़ में ज्वालापुरी की गली नंबर 5 में रहने वाले ताला कारीगर सत्यप्रकाश शर्मा और उनकी पत्नी रूकमणी शर्मा ने बनाया है। यह 6 फीट 2 इंच लंबा और दो फीट साढ़े नौ इंच चौड़ा है। ताले को बनाने में 65 किलोग्राम पीतल का इस्तेमाल किया गया गया है। इसको बनाने में करीब 6 महीने का समय लगा है।

विश्व का सबसे बड़ा ताला

इस ताले को विश्व का सबसे बड़ा ताला बताया जा रहा है। ताले को सत्यप्रकाश शर्मा ने बनाना शुरू किया था लेकिन उनकी मृत्यु के बाद उनकी पत्नी रूकमणी शर्मा और बेटे महेश चंद ने इस पूरा किया। 12 दिसंबर को सत्यप्रकाश शर्मा की हार्ट अटैक से मौत हो गई थी। उनका सपना था दुनिया का सबसे बड़ा ताला बनाना।

राम मंदिर में लगेगा यह ताला

राम मंदिर के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालु इस ताले को अलीगढ़ के प्रतीक चिन्ह के रूप में जानेंगे। ताले की चाबी भी बेहद खास है। तीन फिट चार इंच लंबी इसकी चाबी तीस किलोग्राम की है। ताले और चाबी के निर्माण पर करीब 5 लाख रुपए का खर्च आया है।

ताले पर अखाड़ा परिषद और मनसा देवी ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी शिष्या अन्नपूर्णा भारती द्वारा सप्रेम भेंट के साथ उसके निर्माता सत्यप्रकाश शर्मा और रूकमणी शर्मा का नाम लिखा है। जहां पर ताले की चाबी लगती है वहां जय श्रीराम लिखा है।

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