राजनीति

झारखंड में चंपई सरकार की बढ़ी मुश्किलें, हेम्ब्रोम ने शिबू सोरेन से मुलाकात कर रखी ये शर्त!

रांची।झारखंड विधानसभा में विश्वास मत से पहले सत्तारूढ़ गठबंधन और चंपई सरकार की मुश्किलें बढ़ती दिख रही है। कल यानी पांच फरवरी को विधानसभा का सत्र बुलाया गया है। इससे पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के विधायक लोबिन हेम्ब्रोम ने पार्टी के सामने शर्त रख दी है। हेम्ब्रोम ने पार्टी के सुप्रीमो शिबू सोरेन से मुलाकात की। झारखंड के बोरियो केंद्र के इस विधायक ने पार्टी से नाता तोड़ने का संकेत दिया है।

बता दें कि पांच फरवरी को झारखंड विधासनभा का दो दिवसीय सत्र बुलाया गया है। दो दिवसीय सत्र में भाग लेने के लिए झारखंड के विधायक रविवार की शाम को रांची आएंगे और रात को रांची सर्किट हाउस में रूकेंगे। वहां से कल सीधे विधानसभा जाएंगे। ईडी द्वारा हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद चंपई सोरेन ने पिछले शुक्रवार को झारखंड के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। उनकी झामुमो-कांग्रेस-राजद सरकार अगले सोमवार को विधानसभा में विश्वास मत के जरिए अपना बहुमत साबित करेगी।

बार-बार चेतावनी के बावजूद हेमंत ने नहीं मानी बात

लोबिन का दावा है कि गिरफ्तारी से पहले उसने हेमंत को बार-बार चेतावनी दी थी। लेकिन शिबू सोरेन के बेटे ने उनकी बात या शर्त नहीं मानी। हालांकि, झामुमो के विधायक ने दावा किया कि हेमंत को भूमि भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उनके शब्दों में, ”मैंने उन्हें (हेमंत को) कई बार चेतावनी दी है कि जो लोग उनके आसपास घूम रहे हैं, उनसे सावधान रहें, लेकिन उन्होंने मुझसे कहा कि मैं बकवास कर रहा हूं और विपक्ष को मुंह खोलने का मौका दे रहा हूं।’ इसके बाद लोबिन ने कहा, ‘अगर हेमंत ने मेरी बात मान ली होती तो उन्हें यह दिन नहीं देखना पड़ता।’

हेम्ब्रोम ने शिबू सोरेन से मुलाकात कर रखी ये शर्त

लोबिन का आरोप है कि भले ही आदिवासी के नाम के लिए वे राज्य चलाते हैं, लेकिन वास्तव में झारखंड को गैर-आदिवासी लोग चलाते हैं। उन्होंने दावा किया कि आदिवासी बहुल राज्य के विभिन्न क्षेत्रों से दलितों और मूल लोगों को बेदखल किया जा रहा है, क्योंकि हेमंत सरकार 2019 के लिए अपने चुनावी वादे पूरे नहीं कर सकी।

लोबिन हेम्ब्रोम ने शराब पर प्रतिबंध लगाने की मांग की। इसके साथ ही सीएनटी और एसपीटी एक्ट को सख्ती से लागू करने की मांग करते हुए कहा कि आदिवासियों की हड़प ली गई जमीन को मुक्त कराई जाए। राज्य या केंद्र सरकार बिना ग्राम सभा की अनुमति के जमीन का अधिग्रहण नहीं कर सके और खदानों का आवंटन भी बिना ग्राम सभा की अनुमति के नहीं हो। अधिवास नीति लागू हो और इसकी घोषणा की जाए। जल, जंगल और जमीन की रक्षा की जाए।

विश्वास मत के पहले बढ़ा सस्पेंस

81 सीटों वाली झारखंड विधानसभा में ‘जादुई नंबर’ 41 है। सत्तारूढ़ गठबंधन के पास 48 विधायक हैं। जेएमएम 29, कांग्रेस 16, राजद 1 और सीपीआई (लिबरेशन) 1। चूंकि हेमंत की गिरफ्तारी हो चुकी है, इसलिए वह विधानसभा चुनाव में भाग नहीं ले सकेंगे। फिलहाल चंपई सोरे के साथ 43 विधायक हैं। बाकी चार का पता नहीं चल है। इन चार लोगों में राज्य के बिशुनपुर से जेएमएम विधायक चमरा लिंडा भी शामिल हैं। हेमंत का दावा है कि वह बीमार हैं। हालांकि पार्टी सूत्र के मुताबिक उनसे संपर्क नहीं हो सका। कुल मिलाकर झामुमो के भीतर इस बात को लेकर संशय है कि विश्वास मत के दौरान पार्टी और गठबंधन के कितने विधायक विधानसभा में होंगे, कितने सरकार बचाने के लिए वोट करेंगे

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