मुश्किल में फंसी बेटी को मजबूत कंधा दे रहें शरद पवार, भतीजे को मात देने ‘दुश्मनों’ से भी मिला रहे हाथ
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बारामती। बारामती से सांसद सुप्रिया सुले को अपनी सीट बरकरार रखने के लिए संभवत: अब तक की सबसे कठिन चुनावी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। शरद पवार की बेटी और बारामती से तीन बार की सांसद सुप्रिया सुले को आगामी चुनाव में राकांपा के अध्यक्ष और अपने चचेरे भाई अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार की चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। शरद पवार अपनी बेटी को मजबूत कंधा दे रहे हैं। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार बारामती में शरद पवार के बराबर प्रभुत्व रखते हैं। एक समय था, जब शरद पवार बारामती में सिर्फ एक या दो रैलियां ही किया करते थे क्योंकि उन्हें अपनी जीत का पूरा भरोसा रहता था लेकिन अब, 83 साल की उम्र में पवार को चुनाव की घोषणा से पहले ही पुणे के इस निर्वाचन क्षेत्र में जगह-जगह प्रचार करना पड़ रहा है।
शरद पवार पहली बार 1984 में बारामती से जीते थे। 1991 में, अजित पवार ने इस निर्वाचन क्षेत्र को वापस जीता और बाद में अपने चाचा के लिए फिर से इस सीट को खाली कर दिया। कुछ वर्षों को छोड़ दें, तो 1996 से बारामती का प्रतिनिधित्व पहले पवार और फिर सुप्रिया ने किया है। सुले 2009 से सांसद हैं। बीच में पवार के करीबी सहयोगी बापूसाहेब थिटे ने संसद में इस सीट का प्रतिनिधित्व किया था।
अब, मामला अलग है। एनसीपी टूट हो गई है और उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने भाजपा और एकनाथ शिंदे की शिवसेना की मदद से सुले को हराने के लिए गहन प्रचार अभियान चलाया हुआ है। इस बीच अपनी बेटी की मदद के लिए शरद पवार ने बारामती में अपने पुराने सहयोगियों, प्रतिद्वंद्वियों और विभिन्न समुदायों तक पहुंचना शुरू कर दिया है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शरदचंद्र पवार (राकांपा-एसपी) के प्रमुख शरद पवार बारामती लोकसभा सीट पर अपनी बेटी सुप्रिया सुले की पुन: जीत में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहते, जिसके लिए उन्हें अपने सबसे कट्टर प्रतिद्वंदी अनंतराव थोपटे से भी हाथ मिलाने के लिए मजबूर होना पड़ा।
पिछले शनिवार को, सुले के समर्थन में कांग्रेस विधायक और अनंतराव के बेटे संग्राम थोपटे द्वारा आयोजित एक सार्वजनिक रैली में भाग लेने से पहले, पवार ने भोर में अपने लंबे समय के प्रतिद्वंद्वी अनंतराव थोपटे के घर का दौरा किया। अनंतराव थोपटे घुटने की सर्जरी के बाद भोर में अपने आवास पर फिलहाल चोट से उबर रहे हैं। नब्बे से अधिक उम्र के थोपटे ने छह बार भोर विधानसभा सीट का प्रधिनित्व किया है, जो बारामती लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है हालांकि 1999 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। अनंतराव के बेटे संग्राम थोपटे भोर से मौजूदा कांग्रेस विधायक हैं। कांग्रेस की पुणे इकाई के वरिष्ठ नेता उल्हास पवार ने बताया कि वर्ष 1995 से पहले राज्य की कई सरकारों में मंत्री रहे अनंतराव शरद पवार के कट्टर प्रतिद्वंदी के रूप में जाने जाते थे। उन्होंने कहा कि तीन बार के विधायक संग्राम थोपटे का जिले की राजनीति में अजित पवार के साथ विवाद है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि अजित के अपने चाचा शरद पवार से अलग होने और पिछले साल राज्य में शिवसेना-भाजपा सरकार में शामिल होने से राजनीतिक समीकरण काफी बदल गए हैं। उल्हास पवार ने कहा कि शरद पवार की अनंतराव से मुलाकात ‘राजनीतिक मजबूरी’ है। उन्होंने कहा, ”हर किसी को समझौते की जरूरत होती है। गठबंधन की राजनीति में समझौता अपरिहार्य है। यह बैठक शरद पवार की बेटी की खातिर हुई। लेकिन अगर सुलह हो जाती है तो इससे पुणे जिले में कांग्रेस व राकांपा (एसपी) और महा विकास अघाड़ी गठबंधन की संभावनाओं को मदद मिलेगी।”
अनंतराव के साथ बैठक में बालासाहेब थोराट और नाना नवले जैसे अन्य वरिष्ठ कांग्रेस नेता भी मौजूद थे। जनवरी में, पवार ने एक गैर-राजनीतिक समारोह में भाजपा नेता और अजित के लंबे समय से प्रतिद्वंद्वी हर्षवर्द्धन पाटिल के साथ मंच साझा किया था। इन बैठकों के अलावा, पवार ने होलर समुदाय, वकीलों और डॉक्टरों की अलग-अलग रैलियों को भी संबोधित किया है। सुप्रिया सुले ने हमेशा अपने पिता के नाम पर वोट मांगे हैं। उन्होंने अपने पिता की बेटी होने की छवि पेश की है। हालाकि इस बार शरद पवार अपने भाषणों में खुद पर नहीं बल्कि बेटी पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
लेकिन सब कुछ योजना के मुताबिक नहीं हुआ है। पवार ने हाल ही में बारामती शहर में व्यापारियों के साथ एक बैठक आयोजित की लेकिन उन्होंने इसमें भाग लेने में असमर्थता जताई। आश्चर्य व्यक्त करते हुए, पवार धड़े के एक नेता ने कहा कि व्यापारियों का तिरस्कार कुछ ऐसा था जो बारामती में पिछले पांच दशकों में कभी नहीं हुआ था। उन्होंने कहा कि “व्यापारी कुछ डरे हुए लग रहे थे”। बाद में उन्हें शांत करने के लिए व्यापारियों ने शरद पवार से कहा कि वे जल्द ही उनके लिए एक रैली आयोजित करेंगे।