नई दिल्ली । जम्मू-कश्मीर पुलिस (Jammu and Kashmir Police)की ओर से घाटी के लोगों को एक फॉर्म बांटा (distributed the form)जा रहा है। यह सुरक्षा और शांति बनाए (maintain security and peace)रखने की दिशा (Direction)में उठाया गया अहम कदम है। इसमें आतंक से संबंध, मुठभेड़ में भागीदारी और विदेश में बसे परिवार के सदस्यों से जुड़ी जानकारियां मांगी जा रही हैं। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों ने बताया कि सेना की ओर से इस तरह का सर्वे साल 2019 में भी कराया गया था। इसका मकसद यहां के लोगों का रिकॉर्ड पुलिस के पास मुहैया कराना रहा, मगर अब यह बहुत ही व्यवस्थित तरीके से हो रहा है। इसके तरह, परिवार के हर एक सदस्य के बारे में डिटेल जानकारी दर्ज की जाएगी।
इस सर्वे का दो प्रमुख उद्देश्य
एक सूत्र ने बताया, ‘अब तक पुलिस स्टेशनों में जानकारियां दर्ज की जाती थीं, मगर हम अब फॉर्म के जरिए यह बहुत ही व्यवस्थित तरीके से होगा। इस सर्वे का दो प्रमुख उद्देश्य है- पहला तो यह पता लगाना कि क्या फैमिली का कोई मेंबर मिसिंग है और दूसरा यह कि क्या किसी के घर में विदेश से या फिर कोई नया शख्स आया है।’ घाटी में हाल के महीनों में टारगेटेड किलिंग के मामले बड़े हैं जिसे देखते हुए यह फैसला काफी अहम माना जा रहा है। सूत्र ने बताया कि हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि घाटी में रहने वाले लोगों की जानकारी हमारे पास हो।
‘पुलिस के पास बाशिंदों की जानकारी होनी जरूरी’
एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि यह एक तरह की जनगणना ही है जो यहां पर हर 3-4 साल में होती है। इसके जरिए पुलिस अपने रिकॉर्ड को अपडेट करती है। उन्होंने कहा, ‘पुलिस के लिए यह जरूरी है कि उसके पास अपने अधिकार क्षेत्र में रहने वाले लोगों के बारे में जानकारी हो। इसी बात को ध्यान में रखते हुए इस तरह की एक्सरसाइज की जाती है।’ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर में शांति बहाली को लेकर बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद केंद्र शासित प्रदेश में आतंकी घटनाएं 66 फीसदी और नागरिकों की हत्याओं में 81 प्रतिशत की कमी आई है। शाह ने जम्मू-कश्मीर को पर्यटन केंद्र के रूप में तब्दील करने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिया था।