नई दिल्ली । उत्तराखंड के हल्द्वानी में हिंसा के जख्म अब भी हरे हैं. लोग घरों से बाहर निकलने में डर रहे हैं. हल्द्वानी की ये हालत सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा करने की वजह से हुई है।
इस पूरी घटना का मास्टरमाइंड अब्दुल मलिक कई सालों से सरकारी जमीन हथिया कर, इसे कौड़ियों के भाव बेच रहा था. बनभूलनपुरा में जिस मस्जिद-मदरसे को ध्वस्त किया गया, वो भी सरकारी जमीन पर अवैध रूप से बना था. आइये आपको बताते हैं अब्दुल मलिक के काले कारनामे के बारे में।
50 रुपए के स्टांप पर बेची करोड़ों की जमीन
भूमाफिया अब्दुल मलिक ने बनभूलनपुरा की सरकारी संपत्ति पर सिर्फ अवैध रूप से मस्जिद मदरसा नहीं बनवाया बल्कि 50 रुपए के स्टांप पर करोड़ो की सरकारी जमीन भी सैकड़ों लोगों को बेची. दो दिन पहले हल्द्वानी में मलिक का बगीचा नाम की सरकारी जमीन पर बने अवैध मदरसे और मस्जिद के ध्वस्तीकरण के बाद हिंसा भड़की थी. मलिक का बगीचा नाम से जाने जानी वाली कई एकड़ में फैली करोड़ो रुपए की सरकारी जमीन आरोपी अब्दुल सिर्फ 50 रुपए के स्टांप पर बेच रहा था. ये जमीन एक दो नहीं बल्कि सैकड़ों लोगों को बेची गई थी।
2017 से जारी था अवैध कब्जे का सिलसिला
अब्दुल मलिक और उसके साथियों का सरकारी जमीन बेचने का सिलसिला 2017 से चल रहा था. 2014 में मलिक का बगीचा नाम की सरकारी संपत्ति बिलकुल खाली थी. 2017 के बाद से यहां मस्जिद, मदरसा और अन्य मकान बनाए गए. मकानों के बनने और प्लॉटिंग का सिलसिला भी शुरू हुआ।
अब्दुल मलिक ने लोगों को उकसाया
हल्द्वानी नगर निगम के आयुक्त पंकज उपाध्याय ने बताया कि अवैध रूप से सरकारी संपत्ति को बेचने का खेल अब्दुल मलिक चला रहा था. सिंडीकेट चलता रहे, इसके लिए मस्जिद और मदरसे की मजहबी आड़ ली गई थी. 8 फरवरी को हुई हिंसा के पीछे भी सरकारी जमीन की खरीद फरोख्त वाला ही सिंडीकेट था. अब्दुल मलिक ने लोगों को मजहब नाम पर हिंसा के लिए उकसाया ताकि उसका सरकारी जमीन को बेचने का खेल चलता रहे।