संजय सिंह ठाकुर / पालघर : पालघर के एनसीपी की नगराध्यक्ष डॉ. उज्ज्वला काले विवादों में घिरती हुई नजर आरही है. उनके ख़िलाफ़ पालघर के पूर्व नगरसेवक ( पार्षद ) नितांत चव्हाण नें कोर्ट ( Mumbai High Court ) में पीआईएल ( Pacific International Lines )( PIL ) दायर किया है. जिसके बाद यह माना जा रहा है की आगामी समय में नगराध्यक्ष डॉ. उज्ज्वला काले की मुश्किलें बढ़ने वाली है. नितांत चव्हाण नें आरोप लगाया है नगराध्यक्ष डॉ. उज्ज्वला काले नें अपने पद का दुरूपयोग करते हुए पिने के पाईप लाईन विछाने वाले ठेकेदार को गैर क़ानूनी तरीके से करीब 35 लाख का बिल अदा किया है. उन्हों ने नगरपरिषद और पालघर की जनता का काफी बड़ा नुकसान किया है.
नगर सेवको ( पार्षद ) के विरोध के बाद भी दिए 35 लाख रूपये
वही याचिकाकर्ता पूर्व नगरसेवक नितांत चव्हाण नें बताया की पालघर नगर परिषद नें ( Palghar Municipal Council ) 2015 में पालघर माहिम सडक के किनारे 1.5 कि.मी. पिने के पानी का पाईप लाईन बिछाने का ठेका आर.ए.घुले कों दिया था .आर.ए.घुले द्वारा किये गए निकृष्ट दर्जे के काम की शिकायत मिलने के बाद पालघर नगर परिषद नें इस काम के बिल को रोक दिया था . यह बिल करीब तीन साल तक रुका रहा. लेकिन 2019 में नगराध्यक्ष बनते ही डॉ. उज्ज्वला काले नें अपने फायदे के लिए पद का दरुपयोग करते हुए यह बिल ठेकेदार को अदा कर दिया. जबकि कानूनन यह बिल नगरपरिषद के काउंसिल की मीटिंग में पेश करना अनिवार्य था. लेकिन काउंसिल की मीटिंग में बिल पेश किए बीना अदा कर दिया. गैरकानूनी तरीके से ठेकेदार को दिए गए बिल का शिवसेना के गट नेता व पार्षद कैलास म्हात्रे, भवानंद संखे , अरुण माने ने बिल देने का लिखित विरोध करते हुए अपनी आपत्ति जताई थी,लेकिन डॉ. उज्ज्वला काले नें किसी का नही सुना. इसे देखते हुए मुझे मजबूरन नगराध्यक्ष के विरुद्ध कोर्ट में पीआईएल दायर करना पड़ा.
दुबारा हुए आर्डिट में भी दोषी पाई गयी है नगराध्यक्ष
वही से इस मामले के बारे में जब हमने उद्धव बालासाहेब ठाकरे गट के शिवसेना के गट नेता कैलास म्हात्रे से जानना चाहा, तो उनका कहना था की ठेकेदार द्वारा किये गए गए निकृष्ट दर्जे के काम की शिकायत मिलने के बाद नगर परिषद नें बिल रोका था .काउंसिल की मीटिंग में पेश किये बिना और हमारे विरोध के बावजूद भी नगराध्यक्ष डॉ. उज्ज्वला काले नें गैरकानूनी ढंग से ठेकेदार का बिल और डिपोजिट का पैसा दोनों अदा किया है. तीन साल के बाद डिपोजिट का पैसा लैप्स हो जाता उसके बाद भी उन्हों ने उसे अदा किया है. दुबारा हुए आर्डिट में भी वह दोषी पाई गयी है.