Friday, September 20, 2024
No menu items!

भाईंदर – पटाखे की दुकान टूटी पर धमाके की आवाज़ से दहला सेवन इलेवन

विनय दूबे/ भाईंदर (Bhayandar) कोरोना के भयावह दो वर्ष के उपरांत इस बार दिपावली के पवित्र त्यौहार में पूरा शहर जहाँ खुशियाँ मना रहा था वहीं वकील तरुण शर्मा और उनके मुवक्किल सिल्वराज मि.भा. मनपा और आयुक्त, प्रशासक दिलीप ढोले के खिलाफ एक और कानूनी लड़ाई की तैयारी कर रहे थे, और इसी कड़ी में गत गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस भी कर लिया।


गौरतलब है की मनपा ने शहर में अवैध तौर पर खुले हुए कुल ६ पटाखा स्टाल पर कार्यवाही करते हुए ध्वस्त कर दिया था,उसमें से एक स्टॉल वकील तरुण शर्मा की भी थी, तरुण शर्मा ने कहा की कोरोना के २ साल ने लोगों को आर्थिक दृष्टि से कमजोर कर दिया था, हमें भी तकलीफ हुई थी इसलिए हमने मनपा द्वारा तय किये गए मानकों का पूरी तरह से पालन करते हुए मनपा से ही अनुमति लेकर अपना स्टॉल लगाया था,इसके बावजूद भी आयुक्त ढोले ने हमारी दिवाली ख़राब कर दी, और इसकी वजह यह है की मेरे मुवक्किल सिल्वराज ने उनके नियुक्ति के खिलाफ माननीय हाईकोर्ट में मेरे द्वारा याचिका दायर की है, बस यही मेरा गुनाह-ए-‘अज़ीम है। बदले की भावना से यह कार्यवाही की गई है,पर ढोले साहब सत्य परेशान हो सकता है पर अधर्म कभी जीत नहीं सकता।

वहीं सिल्वराज का कहना है की कुछ दिन पहले पटाखा स्टॉल पर अपने मित्रों के काम में हाथ बटाने  गए थे, और किसी ने उनका फोटो  खींच कर वायरल कर दिया था, इसलिए आयुक्त को लगा की यह हमारा स्टॉल है और परमिशन लेने के बावजूद भी स्टॉल तोड़ कर मेरे ऊपर FIR भी दर्ज़ करवा दिया। पत्रकार शशि शर्मा ने सिल्वराज से एक सवाल पूछा की IAS और non IAS में क्या अंतर है, और इसके पहले भी मनपा के आयुक्त non IAS रह चुके है, तो क्या शहर का विकास नहीं हुआ था,बड़ी ही अज्ञानता के साथ उन्होंने इसका जवाब दिया की IAS पढ़ कर बनते है और non IAS प्रमोटेड होते है।शायद सिल्वराज को नहीं पता की अधिकारी जब स्टेट सिविल सर्विस की परीक्षा पास कर लेता है तभी स्टेट की सरकार उसे प्रमोट करती है,हैरानी की बात है की इन्होनें ही आयुक्त की नियुक्ति के खिलाफ याचिका दायर की है और इन्हें ही आईएएस और नॉन आईएएस का अंतर नहीं पता है। कहीं ऐसा तो नहीं कंधा इनका और बन्दुक किसी और की, खैर यह तो वक़्त ही बताएगा। पर तरुण शर्मा जी अपने क्लाइंट को तैयारी के साथ कॉन्फ्रेंस में लाते तो ये बेचारे फँसते नहीं।

एक बात समझ के परे है की तरुण शर्मा नें पटाखे के स्टॉल की अनुमति के लिए किसी दूसरे के नाम का सहारा लिया, और प्रेस कॉन्फ्रेंस में वह व्यक्ति था ही नहीं, और दूसरी तरफ सिल्वराज का हाईकोर्ट का वकील कोई और है ? यह तो वक्त ही बताएगा। 

 

RELATED ARTICLES

Most Popular