बीजिंग। चीन ने मंगलवार को अपने रक्षा बजट में 7.2 प्रतिशत की वृद्धि करने की घोषणा की है जो पहले ही दुनिया का दूसरा सबसे अधिक रक्षा बजट है। दुनिया में सबसे ज्यादा रक्षा बजट अमेरिका का है जो 222 अरब डॉलर का है।
अमेरिका, ताइवान, जापान और दक्षिण चीन सागर पर दावा जताने वाले पड़ोसी देशों के साथ तनाव को ‘हाई-टेक’ सैन्य प्रौद्योगिकियों में वृद्धि की वजह माना जा रहा है जिसमें स्टील्थ लड़ाकू विमान से लेकर विमानवाहक पोत और परमाणु हथियारों के शस्त्रागार में वृद्धि शामिल है। बता दें कि चीन ने अमेरिका, भारत, ब्रिटेन व दक्षिण चीन सागर के देशों सहित दुनिया के कई देशों से दुश्मनी मोल ले रखी है।
ताइवान मामले पर भी वह दुनिया की आलोचना झेल रहा है। इस कारण चीन ने अपना रक्षा बजट बढ़ा दिया है। भारत के मुकाबले यह बजट तीन गुना से ज्यादा है। चीन की विधायिका की वार्षिक बैठक के उद्घाटन सत्र में मंगलवार को घोषित किए बजट के आधिकारिक आंकड़ों को कई विदेशी विशेषज्ञ सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी की सैन्य इकाई पीपुल्स लिबरनेशन आर्मी द्वारा किए खर्च का केवल एक अंश मानते हैं। प्रधानमंत्री ली क्विंग ने मंगलवार को सुरक्षा तथा अर्थव्यवस्था के संबंध में सरकार की योजनाओं और प्रदर्शन पर एक वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि इस साल के लिए चीन का आर्थिक वृद्धि लक्ष्य करीब पांच प्रतिशत है।
सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में मदद करने के लिए उपभोक्ता खर्च बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दे रही है। आवासीय दरों में गिरावट और नौकरियों को लेकर चिंता के कारण कई परिवार अधिक खर्च करने से बच रहे हैं या खर्च करने में सक्षम नहीं हैं। पिछले साल अर्थव्यवस्था में 5.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी लेकिन यह 2022 में तीन प्रतिशत की बहुत कम दर की वार्षिक वृद्धि के बाद हुई थी जब देश में कोविड-19 महामारी के कारण कई बाधाएं आयी थीं। प्रधानमंत्री ने कहा कि नेतृत्व नीतियों के प्रबंधन में सुधार लाने का प्रयास करेगा। ली बीजिंग के ‘ग्रेट हॉल ऑफ पीपुल’ में नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के करीब 3,000 प्रतिनिधियों और एक समानांतर सलाहकार निकाय के करीब 2,000 सदस्यों को संबोधित कर रहे थे।