रूस। रूस में तीन दिन तक चलने वाले राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए मतदान शुक्रवार को शुरू हो गया है। मतदान देश के 11 ‘टाइम जोन’ (समय क्षेत्र) के साथ ही यूक्रेन के अवैध रूप से कब्जाए क्षेत्रों में मतदान केंद्रों पर रविवार तक चलेगा।
इस चुनाव में पुतिन (71) का जीतना लगभग तय है।
इस चुनावी जीत से पुतिन 2030 तक राष्ट्रपति बने रहेंगे। उसके बाद, यदि वह फिर से खड़े होने का फैसला करते हैं तो वह 2036 तक संभावित रूप से छह साल तक सेवा कर सकते हैं। यह बहुप्रतीक्षित चुनावी घटना न केवल रूस के लिए बल्कि दुनिया के लिए भी महत्व रखती हैं।
यह चुनाव स्वतंत्र मीडिया और प्रतिष्ठित अधिकार समूहों का क्रूरता से दमन, पुतिन को राजनीतिक व्यवस्था पर पूर्ण कंट्रोल और यूक्रेन के खिलाफ मॉस्को के युद्ध के तीसरे साल में प्रवेश करने जैसे घटनाक्रमों के बीच हो रहा है।
पुतिन के राजनीतिक विरोधी या तो जेल में हैं या विदेश में निर्वासित हैं और उनमें से सबसे उग्र विपक्षी नेता एलेक्सी नवलनी की हाल में रूसी जेल में मौत हो गई।
यूक्रेन और पश्चिमी देशों ने उन यूक्रेनी क्षेत्रों में मतदान कराने के लिए रूस की निंदा की है जिन पर मॉस्को की सेनाओं ने कब्जा कर लिया है।
पुतिन ने लोगों से की वोट डालने की अपील
राष्ट्रपति पुतिन ने रूसियों से सक्रिय रूप से भाग लेने और मतदान के अपने अधिकार का प्रयोग करने की अपील की है। उन्होंने कहा, ‘एक साथ आगे बढ़ने के लिए हमारी एकता और दृढ़ संकल्प की पुष्टि करना आवश्यक है। आपका प्रत्येक वोट मूल्यवान और महत्वपूर्ण है। इसलिए, मैं आपसे अगले तीन दिनों में अपने वोट के अधिकार का प्रयोग करने की अपील करता हूं’
पुतिन ने कहा, ‘सभी मतदान केंद्र खुले रहेंगे। शहर, कस्बे और गांव, रूसियों को याद दिलाते हैं कि वे एक परिवार हैं।’ तास समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, पुतिन ने एक रिकॉर्ड किए गए वीडियो संदेश में कहा।
पुतिन के खिलाफ अन्य चुनौती देने वाले कौन हैं?
वैसे चुनाव में तीन उम्मीदवार खड़े हुए हैं जो कि क्रेमलिन की विचारधारा पर चलने वाले सांकेतिक विपक्षी दलों के कम चर्चा में रहने वाले प्रत्याशी हैं। जो पुतिन हराना तो दूर मुकाबला देने की स्थिति में भी नहीं है। जानते हैं ये कौन हैं: –
निकोलाई खारितोनोव
75 वर्ष के निकोलाई खारितोनोव रूस की संसद के निचले सदन, स्टेट ड्यूमा के सदस्य हैं, और वर्तमान में कम्युनिस्ट पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार के रूप में खड़े हैं। 2000 के बाद से लगातार चुनावों में पुतिन से पीछे रहे हैं।
साइबेरिया से आने वाले खारितोनोव ने पहले 2004 में चुनाव लड़ा था और 13।8 प्रतिशत वोट हासिल किए थे, जबकि पुतिन ने 71।91 प्रतिशत वोट हासिल किए थे।
लियोनिद स्लटस्की
56 साल के लियोनिद स्लटस्की स्टेट ड्यूमा में एक पद पर हैं और अति-राष्ट्रवादी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ रशिया (एलडीपीआर) का नेतृत्व करते हैं। 2022 में अपने अनुभवी नेता व्लादिमीर ज़िरिनोव्स्की के निधन के बाद, स्लटस्की ने पार्टी का नेतृत्व संभाला।
व्लादिस्लाव दावानकोव
व्लादिस्लाव दावानकोव (40) वर्तमान में स्टेट ड्यूमा के उपाध्यक्ष के पद पर हैं। वह अपने बिजनेसमैन पिता की सपोर्ट से 2020 में स्थापित न्यू पीपल राजनीतिक पार्टी का प्रतिनिधित्व करते हैं। विशेष रूप से सबसे कम उम्र के उम्मीदवार, दावानकोव को कई राज्य पुरस्कार प्राप्त हुए हैं, जिनमें स्वयं पुतिन से मान्यता भी शामिल है।
‘चुनाव एक दिखावा’
चुनाव प्रक्रिया की निगरानी के लिए स्वतंत्र निगरानीकर्ताओं की क्षमता गंभीर रूप से सीमित है। केवल पंजीकृत उम्मीदवारों या राज्य समर्थित सलाहकार निकायों को मतदान केंद्रों पर पर्यवेक्षकों को नियुक्त करने की अनुमति है।
वाशिंगटन में सेंटर फॉर यूरोपियन पॉलिसी एनालिसिस में डेमोक्रेटिक रेजिलिएंस के निदेशक सैम ग्रीन ने कहा, ‘पूरे रूस में चुनाव एक दिखावा है। क्रेमलिन नियंत्रित करता है कि मतपत्र पर कौन है। क्रेमलिन नियंत्रित करता है कि वे कैसे प्रचार कर सकते है।’
नाटो महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने भी कहा कि ‘रूस में मतदान स्वतंत्र और निष्पक्ष नहीं होगा।’ उन्होंने कहा, ‘हम पहले से ही जानते हैं कि विपक्षी राजनेता जेल में हैं, कुछ मारे गए हैं, और कई निर्वासन में हैं, और वास्तव में जिन लोगों ने उम्मीदवार के रूप में पंजीकरण कराने की कोशिश की थी, उन्हें उस अधिकार से वंचित कर दिया गया है।’