नई दिल्ली । हिंद महासागर में चीन के जासूसी जहाज घूम रहे हैं। इन जासूसी जहाजों की मौजूदगी पर भारत ने कई बार कड़ा ऐतराज जताया है। श्रीलंका के हंबनटोटा के बाद मालदीव में जासूसी जहाजों की मौजूदगी जैसी खबरों के बीच भारत को हिंद महासागर में बड़ी कूटनीतिक कामयाबी मिली है।
भारत को ओमान में एक रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बंदरगाह तक सीधी पहुंच मिली है। इससे फारस की खाड़ी से होने वाले व्यापार में बहुत सहूलियत मिलने की उम्मीद है।
भारत को डुक्म बंदरगाह की कमान ओमान के सुल्तान हैथम बिन तारिक की नई दिल्ली यात्रा के दो महीने से भी कम समय के अंदर सौंपी गई है। डुक्म बंदरगाह रणनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है। इससे पश्चिमी और दक्षिणी हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की भूमिका को बढ़ाने में मदद मिलेगी। यह कदम लाल सागर और पश्चिमी हिंद महासागर क्षेत्र में चल रहे संकट के बीच भारतीय नौसेना की भूमिका को भी बढ़ा सकता है।
भारत के लिए कैसे अहम है यह पोर्ट?
डुक्म बंदरगाह मुंबई से पश्चिम की ओर एक सीध में स्थित है। ऐसे में भारत ओमान के डुक्म बंदरगाह के जरिए अपने माल को आसानी से जमीनी रास्ते से सऊदी अरब और उससे भी आगे पहुंचा सकता है। इससे अदन की खाड़ी और लाल सागर से सटे इलाकों में हूती विद्रोहियों के हमलों से भी निपटा जा सकेगा।
भारत को कैसे होगा फायदा?
ओमान का डुक्म बंदरगाह समुद्री सहयोग के क्षेत्र में भारत के लिए एक लॉजिस्टिक बेस मुहैया कराएगा। मामले से परिचित लोगों ने कहा कि यह मानवीय सहायता और आपदा राहत में प्रथम प्रतिक्रियाकर्ता के रूप में भारत की भूमिका को भी बढ़ाएगा। यह बंदरगाह भारतीय और अफ्रीकी बाजारों तक आपूर्ति करने वाली शिपिंग लाइनों के लिए आसानी से उपलब्ध है। बंदरगाह तक पहुंच भारत के लिए रणनीतिक लाभ रखती है क्योंकि इससे खाड़ी, हिंद महासागर और अरब सागर को बाइपास किया जा सकता है।