Friday, September 20, 2024
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गणतंत्र दिवस पर तालिबानी दूत को भेजा गया निमंत्रण, हक्कानी नेटवर्क से है संबंध

समझाया: हक्कानी नेटवर्क क्या है, तालिबान के साथ इसका संबंध, अमेरिका उन्हें  दो संस्थाओं के रूप में क्यों देखता है

नई दिल्‍ली । संयुक्त अरब अमीरात (United Arab Emirates) में भारतीय दूतावास ने अबू धाबी (Abu Dhabi)में गणतंत्र दिवस समारोह (republic day celebration)के लिए तालिबान के दूत बदरुद्दीन हक्कानी (Taliban envoy Badruddin Haqqani)को आमंत्रित किया है। जलालुद्दीन हक्कानी के बेटों में से एक बदरुद्दीन हक्कानी को अक्टूबर 2023 में राजदूत नियुक्त किया गया था। उनके भाई सिराजुद्दीन हक्कानी अफगानिस्तान के आंतरिक मंत्री हैं। तालिबान के प्रमुख नेताओं में से एक हक्कानी नेटवर्क 2008 में काबुल में भारतीय दूतावास सहित कई आतंकी हमलों में शामिल था।

संयुक्त अरब अमीरात में भारतीय राजदूत संजय सुधीर के नाम से जारी निमंत्रण की एक प्रति अफगान पत्रकार बिलाल सरवरी ने ट्वीट की है। वह अब अफगानिस्तान से बाहर रहते हैं। इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में इसकी पुष्टि की है।

भारत सरकार उस समय से तालिबान के साथ उलझी हुई है जब से उसने एक तकनीकी टीम भेजी और काबुल में भारतीय दूतावास को फिर से खोला। सूत्रों ने कहा कि बदरुद्दीन हक्कानी को निमंत्रण उसी के अनुरूप है। सूत्रों ने कहा कि निमंत्रण “इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान” के दूत को संबोधित था। तालिबान खुद को “अफगानिस्तान के इस्लामी अमीरात” के रूप में दर्शाता है। “इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान” का प्रतिनिधित्व तत्कालीन राष्ट्रपति अशरफ गनी ने किया था।

इस मुद्दे पर सावधानी से आगे बढ़ते हुए भारत काबुल में तालिबान के साथ बातचीत कर रहा है, लेकिन अभी तक तालिबान शासन को राजनयिक मान्यता नहीं दी है।

मुंबई और हैदराबाद में अफगानिस्तान के महावाणिज्य दूत ने पिछले साल नवंबर में घोषणा की थी कि वे नई दिल्ली में अफगान दूतावास को खुला रखेंगे। साथ ही यह भी कहा है कि भारत स्थित अफगानी दूतावास पर इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान का झंडा फहराया जाएगा। दूतावास तालिबान के इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान के बजाय पुराने नामकरण इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान का उपयोग करना जारी रखेगा।

ऐसा समझा जाता है कि भारत ने अपने स्टैंड से नई नेतृत्व टीम को अवगत करा दिया है। अफगान महावाणिज्यदूत ने विदेश मंत्रालय के अधिकारियों को आश्वासन दिया है कि वे इन नियमों का पालन करेंगे।

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