नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून को लेकर अमेरिका के बयान पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सख्त आपत्ति जताई है। अमेरिका ने कहा था कि इस कानून को लागू करने पर हमारी नजर है। इस पर जयशंकर ने कहा कि ऐसे बयान बिना इतिहास को समझे दिए जाते हैं। उन्होंने कहा कि यह कानून इसलिए लाया गया है कि भारत विभाजन से पैदा हुई समस्याओं को हल किया जा सके। उन लोगों को इससे राहत मिले, जो धर्म के नाम पर हुए देश विभाजन के बाद सताए गए थे। दुनिया तो ऐसे बात कर रही है कि जैसे भारत का विभाजन कभी हुआ ही न हो।
उन्होंने कहा, ‘दुनिया के कई हिस्सों के लोगों की आप बात सुनेंगे तो ऐसा लगता है कि भारत का विभाजन कभी हुआ ही नहीं था। उससे कोई समस्या भी पैदा नहीं हुई थी। जबकि यह कानून उन समस्याओं के ही हल के लिए आया है, जो विभाजन के चलते पैदा हुई थीं।’ उन्होंने कहा कि दुनिया में एक तबका ऐसा है, जो एक समस्या उठाता है। उससे जुड़े सभी ऐतिहासिक तथ्यों को हटा देता है। फिर उसे लेकर सनसनी फैलाता है। इसके बाद राजनीतिक रूप से सही लगने वाले बयान दिए जाते हैं। फिर यह ज्ञान देने की कोशिश होती है कि हम तो सिद्धांतों का पालन करते हैं और आपके कोई सिद्धांत नहीं हैं।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में यह बात कही। उन्होंने अमेरिकी राजदूत एरिक गारासेट्टी के बयान का जवाब देते हुए यह टिप्पणी की। दरअसल अमेरिकी राजदूत ने सीएए का जिक्र करते हुए कहा था कि हम अपने सिद्धांतों को नहीं ठुकरा सकते। उन्होंने कहा था कि लोकतंत्र की बुनियाद सभी धर्मों के लिए स्वतंत्रता और समानता के सिद्धांत पर टिकी हुई है। यही नहीं उनका कहना था कि अमेरिका की सीएए पर नजर है। हम देखेंगे कि इसे किस तरह से लागू किया जाता है।
उनसे पहले अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने भी इसे लेकर बयान जारी किया था। इस पर भी भारत ने आपत्ति जताई थी और कहा था कि हमें आपके लेक्चर की जरूरत नहीं है। अमेरिकी राजदूत के सिद्धांतों वाले बयान पर जयशंकर ने अपने ही अंदाज में खूब सुनाया। उन्होंने कहा, ‘सिद्धांत तो हमारे भी हैं। इनमें से ही एक सिद्धांत यह है कि हमें उन लोगों की रक्षा करनी है, जिन पर विभाजन के वक्त अत्याचार हुआ था।’