नई दिल्ली । भारत से विवाद के कारण मालदीव के पर्यटन को तो भारी नुकसान हुआ है ही, साथ ही चिकित्सा क्षेत्र में भी उसे बड़ा झटका लगा है. मालदीव के लोग इलाज के लिए भारी संख्या में भारत आते थे लेकिन भारत के साथ राजनयिक विवाद के बाद अब मालदीव ने श्रीलंका से मदद मांगी है।
मालदीव के परिवहन और नागरिक उड्डयन मंत्री मोहम्मद अमीन इसी संबंध में मंगलवार को अपने श्रीलंकाई समकक्ष निमल सिरिपाला डी सिल्वा से मिले हैं।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर किए गए एक पोस्ट में मालदीव के मंत्री ने बताया कि दोनों नेताओं के बीच यह मुलाकात मंगलवार को हुई. उन्होंने लिखा, ‘श्रीलंका मालदीव को चिकित्सा निकासी में मदद करने के लिए सहमत हो गया है.’ यानी अगर मालदीव में किसी को आपात चिकित्सा की जरूरत पड़ती है तो उसे तत्काल एयरलिफ्ट कर इलाज के लिए श्रीलंका लाया जा सकेगा।
तत्काल मंजूरी के लिए एक रूपरेखा बनाने पर सहमत
मोहम्मद अमीन ने लिखा, ‘हम मालदीव और श्रीलंका के बीच तत्काल जरूरतों, खासकर चिकित्सा निकासी फ्लाइट्स की तत्काल मंजूरी के लिए एक रूपरेखा बनाने पर सहमत हुए हैं।
श्रीलंका के परिवहन और नागरिक उडड्यन मंत्री डी सिल्वा ने इस संबंध में बात करते हुए बुधवार को कहा, ‘मालदीव इस काम के लिए अपने एयर एंबुलेंस का ही इस्तेमाल करेगा… हम इस काम में मालदीव की मदद करेंगे और श्रीलंका में आपात चिकित्सकीय इलाज की खातिर आने वाले लोगों के लिए प्रक्रिया को आसान बनाएंगे।
भारत और श्रीलंका मालदीव के सबसे करीबी पड़ोसियों में से एक हैं. मालदीव और श्रीलंका के बीच करीबी रिश्ते रहे हैं और भारत के साथ मालदीव के तनाव ने मालदीव को श्रीलंका के और करीब आने के लिए मजबूर किया है।
मेडिकल के क्षेत्रों को आगे बढ़ाना चाहता है मालदीव
मालदीव का श्रीलंका के साथ मेडिकल क्षेत्र में सहयोग को आगे ले जाने की खबर ऐसे वक्त में आई है जब मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू अपने देश की चिकित्सकीय जरूरतों में विविधता लाने की कोशिश कर रहे हैं. मालदीव के बहुत से लोग सस्ते और अच्छे इलाज के लिए भारत आते हैं और भारत से चल रहे तनाव को देखते हुए मुइज्जू इसमें विविधता लाना चाहते हैं. इसे देखते हुए पिछले साल दिसंबर के महीने में मुइज्जू सरकार ने एयर एंबुलेंस सेवा की घोषणा की थी। एयर एंबुलेंस सेवा मार्च 2024 की शुरुआत से काम करने लगेगा और इसके जरिए लोगों को इलाज के लिए थाइलैंड तक ले जाया जा सकेगा।
आपात निकासी न होने से हो गई थी मालदीव के किशोर की मौत
मालदीव में कई गंभीर बीमारियों का उचित इलाज उपलब्ध नहीं है जिससे वहां एयर एंबुलेंस की सख्त जरूरत है. इसी साल जनवरी में एक किशोर को आपात मेडिकल इलाज के लिए विदेश ले जाया जाना था लेकिन इसमें देरी हो गई जिससे किशोर की मौत हो गई थी।
मालदीव में मौजूद भारतीय सैनिक आपात स्थिति में करते हैं मदद
मालदीव में भारत के दो नेवी चॉपर और एक डॉर्नियर विमान मौजूद हैं जो अब तक 600 से ज्यादा मेडिकल निकासी का काम कर चुके हैं. मालदीव के आधिकारिक स्रोतों से हासिल जानकारी के मुताबिक, भारत के चॉपर और विमान मालदीव में खोज और बचाव अभियान में भी हिस्सा लेते रहे हैं. मालदीव में भारत के लगभग 80 सैनिक मौजूद हैं जो इन कामों को अंजाम देते हैं।
लेकिन मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू सत्ता में ‘इंडिया आउट’ के एजेंडे पर आए हैं और वो मालदीव से भारतीय सैनिकों की वापसी पर अड़े हुए हैं. उन्होंने भारतीय सैनिकों की वापसी के लिए 15 मार्च का अल्टीमेटम दिया है।
मालदीव के लोगों का पसंदीदा मेडिकल डेस्टिनेशन है भारत
भारत मालदीव के लोगों का पसंदीदा मेडिकल डेस्टिनेशन है और हर साल हजारों की संख्या में लोग इलाज के लिए भारत आते हैं. एक दशक पहले मालदीव की सरकार ने एक सार्वभौमिक स्वास्थ्य बीमा, Aa Sandha लॉन्च किया था. इस बीमा में मालदीव के लोगों को संपूर्ण इलाज प्रदान करने के लिए भारत के दर्जनों अस्पतालों को भी शामिल किया गया था।