माले। मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू सोमवार को जब पहली बार राष्ट्रपति के रूप में संसद को संबोधित करने पहुँचे तो सदन लगभग ख़ाली था।
मालदीव की संसद में 87 सीटें हैं लेकिन मुइज़्ज़ू के संबोधन के दौरान महज़ 24 सांसद ही मौजूद थे।
मालदीव के कुल 56 सांसदों ने राष्ट्रपति के पहले संबोधन का बहिष्कार किया था।
बहिष्कार करने वाले 13 डेमोक्रेट्स सांसद थे और 43 सांसद मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी के थे।
बहिष्कार करने वाले सांसदों ने कहा कि मुइज़्ज़ू मालदीव की सरकार अलोकतांत्रिक तरीक़े से चला रहे हैं।
विपक्षी सांसद मुइज़्ज़ू को भारत से ख़राब होते संबंधों के मामले में भी घेरते रहते हैं।
सत्ता संभालने के बाद से मुइज़्ज़ू की पहचान चीन परस्त राष्ट्रपति के रूप में बनी है।
मोहम्मद मुइज़्ज़ू ने अपने संबोधन में कहा कि उनकी सरकार संप्रभुता से कोई समझौता नहीं करेगी। उन्होंने भारत का भी ज़िक्र किया और कहा कि भारत अपने सैनिकों को मालदीव से 10 मई तक हटाने के लिए तैयार हो गया है।
हालांकि मुइज़्ज़ू ने 15 मार्च तक भारत के सैनिकों को हटाने के लिए अल्टीमेटम दिया था।
मुइज़्ज़ू के संबोधन में इस्लाम का ज़िक्र
जब मुइज़्ज़ू ने संप्रभुता से कोई समझौता नहीं करने की बात की तो उनका निशाना भारत की तरफ़ ही था।
मुइज़्ज़ू मालदीव में भारतीय सैनिकों की मौजूदगी को मालदीव की संप्रभुता के ख़िलाफ़ मानते हैं।
मुइज़्ज़ू ने अपने संबोधन में इस्लाम और मालदीव की धिवेही भाषा का ज़िक्र प्रमुखता से किया। मोहम्मद मुइज़्ज़ू ने अपने संबोधन की शुरुआत सुल्तान मोहम्मद शम्सुद्दीन तृतीय के उद्धरण से किया।
सुल्तान मोहम्मद शम्सुद्दीन तृतीय ने 91 साल पहले 22 दिसंबर 1932 को शाही बयान में कहा था, ”क्या इस्लाम के साथ बने रहना मामूली बात है? इसमें कोई शक नहीं है कि समानता और इंसाफ़ को सुनिश्चित करने के मामले में इस्लाम जैसा कोई दूसरा धर्म नहीं है। इसके लिए कोई सबूत की ज़रूरत नहीं है। क्या यह हमारे लिए अहम बात नहीं है कि हम अपना शासन ख़ुद से चला रहे हैं? ऐसा तब है, जब दुनिया भर के देश अपने अधिकारों के लिए जान की बाज़ी तक लगा रहे हैं।”
सुल्तान मोहम्मद शम्सुद्दीन तृतीय के उद्धरण का उल्लेख करने के बाद मोहम्मद मुइज़्ज़ू ने कहा, ”इसमें कोई शक नहीं है कि मालदीव का भविष्य इस्लाम और संप्रभुता को सुरक्षित रखने में है। 17 नवंबर 2023 को मैंने राष्ट्रपति की कमान संभाली थी। राष्ट्रपति बने क़रीब ढाई महीने हो गए हैं। इन ढाई महीनों में मेरी प्राथमिकता मालदीव की संप्रभुता और उसकी स्वतंत्रता को सुनिश्चित करना रहा। मुझे लोगों का समर्थन मालदीव की ज़मीन से विदेशी सैनिकों को हटाने के लिए मिला था। मैंने उन समझौतों को भी तोड़ा, जिनसे मालदीव की संप्रभुता कमज़ोर हो रही थी।”
सत्ता में आने के बाद मुइज़्ज़ू ने भारत के साथ कई समझौते तोड़े हैं। ये समझौते इब्राहिम सोलिह की सरकार ने किए थे, जिन्हें भारत समर्थक कहा जाता था।
रमज़ान में 10 दिन की छुट्टी देंगे मुइज़्ज़ू
मुइज़्ज़ू ने अपने संबोधन में कहा, ”हमारी सरकार राष्ट्रवाद पर ख़ासा ध्यान देगी। हम इस्लाम के सिद्धांतों के साथ रहेंगे और समाज को इसी के आधार पर आगे बढ़ाएंगे। राष्ट्रीय मस्जिद परिषद की स्थापना फिर से की गई है। लोगों के जीवन में मस्जिद की अहमियत बढ़ानी है।”
”हम मस्जिदों पर ख़ासा ध्यान देंगे। हमने मस्जिदों की देखभाल के लिए ख़र्च बढ़ाकर तीन गुना कर दिया है। इमाम को पीएचडी स्तर तक की ट्रेनिंग देने की योजना है। जो ग़रीबी के कारण हज नहीं कर पाते हैं, उन्हें सरकारी ख़र्च पर हज के लिए भेजा जाएगा। इस योजना के तहत एक हज़ार लोगों को सरकारी ख़र्च पर हज के लिए भेजा जाएगा। इस साल 50 लोगों को यह मौक़ा मिलेगा।”
मुइज़्ज़ू ने अपने संबोधन में कहा, ”रमज़ान का पवित्र महीना आ रहा है। पहली बार मालदीव के सभी परिवारों को रमज़ान के महीने में तोहफ़ा दिया जाएगा। सरकार रमज़ान के महीने में आख़िरी के 10 दिन सार्वजनिक छुट्टी देगी। हम अल्लाह की इबादत में ऐसा पहली बार करने जा रहे हैं। एक इस्लामिक चैनल भी होगा जो धार्मिक जागरूकता के लिए काम करेगा, जिससे इस्लामिक एकता बनी रहेगी। हम पड़ोसी देशों से संबंध मज़बूत करेंगे। ख़ासकर इस्लामिक देशों से रिश्ते और गहरे होंगे।”
मोहम्मद मुइज़्ज़ू ने अपने संबोधन में एलान करते हुए कहा कि इस साल से दूसरे देशों में पढ़ाई कर रहे मालदीव के छात्रों के लिए इस्लाम और धिवेही भाषा की पढ़ाई शुरू की जाएगी।
मालदीव एक इस्लामिक देश है।
मालदीव ब्रिटेन से 1965 में राजनीतिक रूप से पूरी तरह से आज़ाद हुआ था। आज़ादी के तीन साल बाद मालदीव एक संवैधानिक इस्लामिक गणतंत्र बना था। आज़ादी के बाद से ही मालदीव की सियासत और लोगों की ज़िंदगी में इस्लाम की अहम जगह रही है।
मालदीव और इस्लाम
2008 में मालदीव में इस्लाम राजकीय धर्म बन गया था।
मालदीव में ज़मीन का स्वामित्व और नागरिकता सुन्नी मुस्लिमों तक सीमित है।
संविधान में यह अनिवार्य बना दिया गया है कि राष्ट्रपति और कैबिनेट मंत्री कोई सुन्नी मुसलमान ही हो सकता है।
मालदीव के क़ानून के अनुसार, यहाँ इस्लाम की आलोचना को अपराध माना जाता है। मालदीव दुनिया का सबसे छोटा इस्लामिक देश है।
मोहम्मद मुइज़्ज़ू ने राष्ट्रपति बनने के बाद पहला विदेशी दौरा तुर्की का किया था। इससे पहले मालदीव के नए राष्ट्रपति का पहला विदेशी दौरा भारत का होता था लेकिन मुइज़्ज़ू ने यह परंपरा तोड़ दी थी।
तुर्की मुस्लिम बहुल देश है और उसके साथ उस्मानिया सल्तनत की विरासत जुड़ी है।
इसी विरासत के दम पर तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन तुर्की को इस्लामिक देशों के नेता के तौर पर प्रस्तुत करते हैं।
भारत में सांप्रदायिक विवादों पर मालदीव की प्रतिक्रियाएं
मुइज़्ज़ू के तुर्की दौरे को भी इस्लाम से जोड़कर देखा गया था। मुइज़्जू़ तुर्की के बाद यूएई गए थे। यूएई भी इस्लामिक देश ही है।
भारत में कुछ भी सांप्रदायिक विवाद होता है तो मालदीव में इसकी प्रतिक्रिया देखने को मिलती है। बीजेपी की प्रवक्ता रहीं नुपूर शर्मा की एक टिप्पणी को लेकर विवाद हुआ था। तब मालदीव ने भी इस पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई थी।
नुपूर शर्मा की टिप्पणी से विवाद 2022 में हुआ था और तब मालदीव की सरकार को भारत समर्थक माना जाता था। लेकिन उस वक़्त भी मालदीव ने नुपूर शर्मा के बयान पर आपत्ति जताते हुए कहा था, ”इस संबंध में मालदीव की सरकार भारत में बीजेपी के कुछ अधिकारियों द्वारा पैग़ंबर मोहम्मद को लेकर की गई अपमानजनक टिप्पणी से बहुत चिंतित है।”
ग़ज़ा में इसराइली हमले को लेकर भी मालदीव में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली है।
मुइज़्ज़ू के मंत्रियों ने इसराइल पर मोदी सरकार के रुख़ पर भी पिछले महीने टिप्पणी की थी और इसे लेकर विवाद हो गया था। मालदीव सरकार की मंत्री मरियम शिउना और दूसरे नेताओं ने मोदी सरकार को इसराइल की कठपुतली कहा था।
हालांकि बाद में मुइज़्ज़ू ने अपने तीन मंत्रियों को निलंबित कर दिया था।
मालदीव भारत के दक्षिण पश्चिम में स्थित है।
भारत के शहर कोच्चि से मालदीव की दूरी क़रीब एक हज़ार किलोमीटर है। ये 1200 द्वीपों का एक समूह है। ज़्यादातर द्वीपों में कोई नहीं रहता है।
मालदीव का क्षेत्रफल 300 वर्ग किलोमीटर है। यानी आकार में दिल्ली से क़रीब पांच गुणा छोटा। मालदीव की आबादी क़रीब चार लाख है।