कोलकाता। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली पूर्व कर्मचारी ने कार्रवाई की मांग करते हुए अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। याचिका में उसने संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत राज्यपाल को आपराधिक मामलों में दी गई छूट को चुनौती दी है। सवाल किया है कि राज्यपाल को दी गई संवैधानिक छूट उनके जीवन के मौलिक अधिकार पर कैसे रोक लगा सकती है? राजभवन ने घटनाक्रम पर तुरंत कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। इस मामले की सुनवाई अगले सप्ताह की शुरुआत में होने की संभावना है। बता दें कि हाई कोर्ट पहले ही इस केस में नामजद तीन कर्मचारियों को अग्रिम जमानत दे चुका है।
राजभवन की एक पूर्व कर्मचारी ने बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस पर दो बार छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया था। महिला की शिकायत के बाद कोलकाता पुलिस ने 15 मई को राजभवन के तीन कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। 24 मई को हाई कोर्ट ने एक अंतरिम आदेश में तीनों कर्मचारियों को अग्रिम जमानत दे दी। यह विवाद तब और गहरा गया, जब राज्यपाल ने डीओपीटी को पत्र लिखकर कोलकाता पुलिस आयुक्त विनीत गोयल और डीसीपी (मध्य) इंदिरा मुखर्जी को हटाने के निर्देश दिए थे। ये दोनों अधिकारी छेड़छाड़ के आरोप की जांच कर रही विशेष जांच टीम (एसआईटी) का नेतृत्व कर रही हैं। राजभवन की ओर बताया गया कि पुलिस के अधिकारी आरोप लगाने वाली महिला को पहले लिखी गई स्क्रिप्ट के तहत बहका रहे हैं। मनगढ़ंत आरोप पुलिस की दुर्भावनापूर्ण मंशा जाहिर करते हैं।